नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को और 10 साल के लिए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी. बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाली थी. सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी.
विधेयक को मंजूरी के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि बढ़कर 25 जनवरी 2030 तक हो जायेगी. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विधायिका में एससी और एसटी के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के जरिए किया जाता है जबकि इन श्रेणियों के लिए नौकरियों में इस तरह का आरक्षण देने का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करती हैं. सूत्रों ने बताया कि एंग्लो इंडियन समुदाय को अभी आरक्षण की इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है. अगर बाद में जरूरत महसूस हुई तब इस पर फिर से विचार किया जायेगा.