नागपुर. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को आदिवासी समुदायों से शैक्षिक, आर्थिक रूप से मजबूत बनने का आह्वान किया और उनसे साथी आदिवासियों को राष्ट्रीय मुख्यधारा का हिस्सा बनने में मदद करने का आग्रह किया. देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति राष्ट्रपति मुर्मू ने आज यहां राजभवन में आदिवासी समुदाय के लागों बातचीत की और उनसे जीवन में आगे बढ़ने और शैक्षिक, आर्थिक रूप से मजबूत बनने के लिए कड़ी मेहनत करने और अन्य साथी आदिवासियों को भी इसका हिस्सा बनने में मदद करने का आह्वान किया.
राष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके स्कूल तक जाने के लिए उचित सड़कें नहीं थीं, किताबें ले जाने के लिए स्कूल बैग नहीं थे और बारिश से खुद को बचाने के लिए वह स्कूल जाते समय अपने सिर को कपड़े से ढक लेती थीं. उन्होंने आगे कहा कि उनका जीवन हर कदम पर संघर्ष से भरा रहा, लेकिन उन्होंने चुनौतियों को पार किया और एक शिक्षक, फिर राज्यपाल और अब देश की राष्ट्रपति बनीं.
उन्होंने जनजातीय समुदायों के सदस्यों से बिना किसी हीन भावना के उच्च शिक्षा प्राप्त करने का आग्रह किया. राष्ट्रपति मुर्मू ने दृढ़तापूर्वक कहा कि आदिवासियों को हर तरह से मजबूत बनना चाहिए और उच्च पदों पर काम करना चाहिए और साथी आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा में आने में मदद करनी चाहिए.
राष्ट्रपति विदर्भ के तीन दिवसीय दौरे के बाद मुंबई के लिए रवाना हो गईं. उन्हे डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय नागपुर हवाई अड्डे पर विदाई दी गयी. राज्यपाल रमेश बैस, पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, राज्य के जनजातीय विकास मंत्री विजयकुमार गावित, एयर मार्शल विभास पांडे, मेजर जनरल एस के विद्यार्थी इस मौके पर एयरपोर्ट पर मौजूद रहे.
राष्ट्रपति मुर्मू ने किया आदिवासियों को राष्ट्रीय मुख्यधारा का हिस्सा बनने में मदद करने का आग्रह . .