- बेहमई काण्ड पर फैसले के बाद एक बार फिर चर्चा में आयीं दिवंगत सांसद फूलन देवी
- महिलाओं में काफी लोकप्रिय रहीं दस्यु सुंदरी और सांसद फूलन देवी
भदोही. दस्यु सुंदर फूलन देवी एक बार फिर चर्चा में हैं. दस्यु जीवन के दौरान कानपुर देहात के बेहमई गाँव में उन्होंने एक साथ कतार में खड़ा कर 22 जाति विशेष लोगों को गोलियों से भून दिया था. 43 साल बाद कानपुर देहात की अदालत से इस पर फैसला आया है. फूलन देवी भदोही से 1996 और 1999 में समाजवादी पार्टी से सांसद चुनी गयीं थीं. फैसले के बाद दिवंतगत सांसद और दस्यु सुंदरी एक बार फिर चर्चा में हैं.
कानून-व्यवस्था का इससे बड़ा लचर उदाहरण क्या हो सकता है कि 43 साल बाद ऐसे संवेदनशील मसले पर फैसला आया है जब ना मुख्य आरोपित फूलन देवी रहीं और न आरोपित करने वाले व्यक्ति. अदालत सिर्फ एक व्यक्ति को उम्र कैद की सजा दे पाई जबकि एक को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया. दस्यु सुंदरी फूलन देवी मुख्य आरोपी थी. घटना में भदोही की दिवंगत सांसद रही फूलन देवी के साथ 36 लोगों को इस घटना के लिए आरोपित किया गया था. लेकिन इस घटना से पीड़ित परिवार और मुख्य आरोपित इस दुनिया से अलविदा हो गए फिर फैसले का क्या औचित्य रह गया.
फिलहाल भदोही की दिवंगत सांसद फूलन देवी इस फैसले के बाद एक बार फिर चर्चा में आ गई है. चंबल के बिहाड़ों की रानी भदोही से सांसद चुनी गई थी. 1996 का वह दौर था जब मुलायम सिंह यादव ने जाति समीकरण की गोंट बैठाते हुए निषाद जात से ताल्लुक रखने वाली फूलन देवी को भदोही से समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार बना कर मैदान में उतार दिया. फूलन के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था लेकिन मुलायम सिंह को यह बखूबी मालूम था कि फूलन देवी जब चुनावी क्षेत्र में जाएगी और अपने दस्यु जीवन की पीड़ा सुनाएगी तो अपने आप वह वोटरों के बीच लोकप्रिय हो जाएंगी. मुलायम सिंह की यह सोच सच निकली और वह भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को 1996 में पराजित कर सांसद बनी. 1999 में दूसरी बार भी भदोही से सांसद चुनी गई.
1996 की जेठ की तपती दुपहरी में फूलन देवी जब चुनाव प्रचार करने निकलती थी लोग दस्यु सुंदरी की एक झलक पाने को लोग टूट पड़ते थे. वह महिलाओं में काफी लोकप्रिय हुईं. हालांकि फूलन देवी बिल्कुल अनपढ़ थी. उन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता था. वह लोगों के बीच ठीक से बोल भी नहीं पाती थी. जमीनी विवाद और दस्यु जीवन के प्रतिशोध में 22 लोगों की हत्या ने पूरे उत्तर प्रदेश और देश को हिला कर रख दिया था. यह घटना 14 फरवरी 1981 को हुई थी और संजोग देखिए की 43 साल बाद 14 फरवरी 1924 में इस घटना पर फैसला भी आया है.
मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी के आत्मसमर्पण करने के बाद सभी मुकदमों को वापस कर लिया. फूलन को राजनीति में लाने का काम उन्होंने ही किया. मुलायम सिंह ने वाराणसी को विभाजित कर 1994 में भदोही को नया जनपद बनाया था. 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी को मिर्जापुर-भदोही से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. उस समय भदोही संसदीय क्षेत्र नहीं था. फूलन देवी भदोही में ही रहती थीं. उस दौरान मिर्जापुर-भदोही एक ही संसदीय क्षेत्र था. परिसीमन के बाद भदोही अलग संसदीय सीट बना. फूलन देवी पर फ़िल्म निर्माता शेखर कपूर ने फूलन देवी पर ‘बैडिटक्वीन’ नाम से फिल्म बनाई थी जो बेहद चर्चित हुईं.
दस्यु सुंदरी ने जिन गोलियों से अपने जीवन की शुरुआत की थी उनका अंत भी गोलियों के साथ हुआ. दूसरी बार सांसद रहते हुए 25 जुलाई 2001 में उनकी अशोक रोड स्थित सरकारी आवास में गोली मारकर हत्या कर दी गई. बेहमई कांड पर आए फैसले के बाद दिवंगत सांसद फूलन देवी एक बार फिर चर्चा में आ गई है.