Friday , 24 March 2023
देश की प्रथम महिला शिक्षिका, महिलाशक्ति सावित्रीबाई फुले जी की जयंती आज

देश की प्रथम महिला शिक्षिका, महिलाशक्ति सावित्रीबाई फुले जी की जयंती आज

उत्तर प्रदेश:- महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में पिता खंडोजी नेवसे के परिवार में माता लक्ष्मीबाई की पावन कोख से पुत्री सावित्रीबाई का जन्म 03 जनवरी, 1831 को हुआ. सावित्रीबाई का विवाह 09 वर्ष की अल्पायु में 13 वर्षीय नाबालिग ज्योतिबा फुले के साथ 1840 में हुआ. महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपनी जीवनसाथी को शुरुआत में खेत में आम के पेड़ के नीचे बालू मिट्टी पर पढ़ाना शुरू किया और उसके बाद धार्मिक व्यवस्था का विरोध करके बाजाप्ता नाम लिखवाकर माता सावित्रीबाई फुले को आठवीं तक शिक्षा दिलवाई.

देश में महिला शिक्षा की शुरुआत देश की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले ने भारत में रूढ़िवादी परम्पराओं के विरूद्ध महिलाओं को शिक्षा देने का आगाज 01 जनवरी, 1848 को किया जिसका धर्म के ठेकेदारों ने जमकर विरोध किया, परन्तु सावित्रीबाई फुले के अदम्य साहस के आगे उनकी एक ना चली. प्रथम छात्राओं के रूप में अन्नपूर्णा जोशी (5 वर्ष), सुमति मोकाशी (4 वर्ष), दुर्गा देशमुख (6 वर्ष), माधवर धते (6 वर्ष), सोनू पँवार (4 वर्ष) और जानी करडिले (5 वर्ष) ने विद्यालय में दाखिला लिया. मजदूरों को शिक्षा देने के लिए माता सावित्रीबाई फुले ने रात्रिकालीन विद्यालयों का संचालन भी किया.

वंचितों के लिए शिक्षा का सैलाब महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने पिछड़ों-महिलाओं के लिए 71 शिक्षण संस्थान खोलकर शिक्षा जगत में क्रांति का बिगुल बजा दिया. समाजसेविका सावित्रीबाई फुले ने बाल हत्या और बाल विधवा हत्या को रोकने के लिए देश में पहला अवैध प्रसूति केन्द्र खोलकर बालिकाओं और विधवा का जीवन बचाने का साहस किया. विदित हो कि रूढिवादी परम्पराओं के अनुसार बच्चियों का जन्म अशुभ माना जाता था उनकी लड़ाई लड़ी. जाति व्यवस्था इतनी अमानवीय थी कि अछूतों, शोषितों, गरीबों के लिए सार्वजनिक कुओं से पानी भरना बिल्कुल मना था. वो दूसरों की दया पर निर्भर थे. ऐसी निंदनीय व्यवस्था को ठोकर मारकर जलदायनी सावित्रीबाई फुले ने जातिवादियों के भारी विरोध को दरकिनार करके वंचितों के लिए अलग से कुआँ खुदवाकर साफ जल की व्यवस्था की. 1876-77 में पूना में भयंकर अकाल पड़ा था. उस अकाल से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ धनाढ्य लोगों से चंदा लेकर जरूरतमंदों को आवश्यक सामग्री का वितरण करती थी तथा 52 अन्न राहत शिविर खोले थे. हिंदू धर्म में विधवाओं की स्थिति बहुत दयनीय थी. उनका पुनर्विवाह मना था. उनके सिर के बाल काट दिये जाते थे जिसका माता सावित्रीबाई फुले ने विरोध किया और नाइयों को विधवाओं का मुंडन नहीं करने के लिए मना करवा दिया. गरीब, मजदूर लोग शराबखोरी में रिश्वतखोर हाकिमों के शिकार हो जाते थे और परिवार परेशान होते थे जिसके विरोध में भी माता सावित्रीबाई फुले ने सफलतापूर्वक आंदोलन चलाया था. महान समाजसेविका माता सावित्रीबाई फुले का 1897 में प्लेग की महामारी के पीड़ितों की सेवा करते हुए 10 मार्च, 1897 को परिनिर्वाण हो गया.समाजसेवी आदिल खान नम आंखो से याद अपनी पाठशाला में बच्चों संग मिल कर याद किया और बच्चों को उनके जीवन से अवगत करायाा.

देश की प्रथम महिला शिक्षिका, महिलाशक्ति सावित्रीबाई फुले जी की जयंती आज