Tuesday , 21 March 2023

मत दीजिए मुफ्त अनाज, वर्ना खजाने पर पड़ेगा बड़ा बोझ

नई दिल्ली:गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना – ‘पीएम-जीकेएवाई’ को सितंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ आ सकता है. यह आशंका वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले व्यय विभाग को है. व्यय विभाग के मुताबिक अब जब महामारी का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है, इसकी आवश्यकता नहीं है.

अब तक कितने रुपये हुए खर्च: आपको बता दें कि मार्च 2022 में, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) योजना को और छह महीने यानी सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था. सरकार ने इस योजना पर मार्च तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सितंबर 2022 तक 80,000 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे. इससे पीएम-जीकेएवाई के तहत कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. इस योजना में लगभग 80 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं.

क्या है तर्क: विभाग के मुताबिक पीएमजीकेएवाई को जारी रखने के हालिया फैसले के अलावा उर्वरक सब्सिडी बोझ (यूरिया और गैर-यूरिया दोनों) में भारी वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी की एक बार फिर शुरुआत, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क या विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कमी ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति पैदा कर दी है.

व्यय विभाग ने कहा कि इस वित्त वर्ष के लिये बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है. यह ऐतिहासिक मानकों से बहुत अधिक है. राजकोषीय स्थिति में गिरावट गंभीर प्रतिकूल परिणामों का जोखिम पैदा करती है. बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत या 16.61 लाख करोड़ रुपये आंका गया था. चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में यह घाटा 74,846 करोड़ रुपये रहा जो पूरे साल के लक्ष्य का 4.5 प्रतिशत है.

मत दीजिए मुफ्त अनाज, वर्ना खजाने पर पड़ेगा बड़ा बोझ