फिल्म रिव्यू: नेता, पुलिस और मुंबई के माफियाओं के खेल को अलग ढंग से पर्दे पर उतारती है फिल्म “आज़म”

फिल्म “आज़म” कल यानि 26 मई को बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है. यह फिल्म माफिया डॉनों के वर्चस्व और कुर्सी हथियाने के लिए खेले गये शह मात की कहानी है. खास बात यह है कि मुंबई के माफियाओं पर अब तक बनी फिल्मों में नयी तकनीकों के इश्तेमाल उतने नहीं प्रदर्शित हुए जितने “आज़म” में किये गये हैं. “आज़म” के मुख्य किरदारों में जिमी शेरगिल, अभिमन्यु सिंह, इंद्रनील सेनगुप्ता, रजा मुराद, सयाजी शिंदे, मुश्तक खान, गोविंद नामदेव, अनुराग देसाई, संजीव त्यागी व आलोक पाण्डेय जैसे कलाकार केंद्रीय भूमिका में हैं. टी. बी. पटेल द्वारा निर्मित फिल्म “आज़म” के लेखक व निर्देशक श्रवण तिवारी हैं.
कहानी: मुंबई का माफिया डॉन नवाब (रजा मुराद) मुंबई की काली दुनिया पर राज करता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही वह कैंसर से पीड़ित भी हो जाता है. अपनी तबियत को देखते हुए वह अपनी डॉन की कुर्सी पर अपने बेटे कादर (अभिमन्यु सिंह) को बिठाना चाहता है. जिसकी चर्चा वह यहाँ के टॉप माफियाओं से करता है. यह बात एक अन्य माफिया डॉन प्रताप शेट्टी (गोविंद नामदेव) को अच्छी नहीं लगती है, और वह अपने बेटे को मुंबई के डॉन की कुर्सी पर बिठाने का फैसला करता है जिसकी भनक डॉन नवाब के बेटे कादर को लग जाती है. कादर अपने राइट हैण्ड और अपने पिता नवाब के नाजायज बेटे जावेद के साथ प्रताप शेट्टी के बेटे की हत्या कर देता है. और यहीं से अंडरवर्ल्ड में ऐसा खूनी खेल शुरु होता है कि एक – एक करके तमाम माफियाओं के मौत का जाल बिछ जाता है और पुलिस जितनी भी कोशिश करती है, फेल ही होती है. इसकी सबसे बड़ी वजह हत्याओं का मास्टरमाइंड जिन तकनीकों के जरिये यह सब करता है, वहां तक पुलिस सोच भी नहीं पाती. दर्शकों को शॉक तब लगता है, जब एक हत्या खुद एसीपी अजय जोशी (इंद्रनील सेनगुप्ता) करता है, जो पूरे मामले में इस खूनी खेल को रोकने में एड़ी चोटी का जोर लगाता रहता है. मास्टरमाइंड कौन है, वह क्या करता है, कैसे लेटेस्ट तकनीकों का इश्तेमाल करता है, ये तकनीक उसे हासिल कैसे होता है, और अंत में डॉन कौन बनता है, जानने के लिए थियेटर जाकर “आज़म” देख आइये. रहस्य, रोमांच और मनोरंजन से भरपूर यह फिल्म जरूर पसंद आएगी.
अभिनय: फिल्म के लीड एक्टर जिमी शेरगिल ने आला दर्जे की एक्टिंग की है. बाकी किरदारों की बात करें तो अभिमन्यु सिंह हमेशा की तरह ही अच्छे लगे हैं. पुलिस अधिकारी की भूमिका में इंद्रनील सेनगुप्ता ने दमदार भूमिका में अपनी छाप छोड़ी है. रजा मुराद, सयाजी शिंदे, मुश्तक खान, गोविंद नामदेव, अनुराग देसाई जैसे मंजे हुए कलाकारों की बात करें तो ऐसा लगता है कि इनके बिना तो फिल्म पूरी ही नहीं हो पाती. संजीव त्यागी व आलोक पाण्डेय ने भी अच्छा किया है. बाकी कलाकारों ने अपने छोटे – छोटे किरदारों को पूरी तरह से जीवंत कर दिया है. कुल मिलाकर स्टारकस्ट का चयन बहुत ही बेहतरीन रहा है.
निर्देशन, पटकथा व संगीत: फिल्म “आज़म” का लेखन व निर्देशन दोनों ही श्रवण तिवारी ने किया है. उन्होंने गज़ब का समन्वय बिठाया है. वर्तमान के रंगीन ज़माने में अंडरवर्ल्ड पर बनी फिल्म “आज़म” में थोड़े लटको – झटकों की कमी जरूर महसूस होती है लेकिन अगर निर्देशक यह सब करते तो फिल्म थोड़ी लम्बी हो सकती थी, बावजूद इसके वे दर्शकों को भटकने नहीं देते और उनका मनोरंजन करने में कामयाब हुए हैं. फिल्म का टाइटल सांग बढ़िया बन पड़ा है.
स्टारकास्ट से लेकर कहानी, निर्देशन, पटकथा के अलावा इसमें बहुत कुछ स्पेशल है. फिल्म प्रेमियों के लिए इस सप्ताह के मनोरंजन का बढ़िया मसाला है. एक बार देखिये, “आज़म” आपको भी जरूर पसंद आएगी.
. की तरफ से “आज़म” को 3.5 स्टार.
– दिनेश कुमार

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