नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष दावा किया कि तीन दशकों की अशांति के बाद पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा वापस लेने के बाद जम्मू-कश्मीर में जनजीवन सामान्य होने के साथ ही उन्नति और प्रगति के नए युग की शुरूआत हुई है. जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से एक दिन पहले सोमवार को एक हलफनामा दायर कर केंद्र सरकार ने ये दावे किए. केंद्र ने अपने लिखित जवाब में कहा कि मई 2023 के महीने में श्रीनगर में जी -20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक की मेजबानी घाटी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी. पर्यटन और देश ने दुनिया के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को गर्व से प्रदर्शित किया कि अलगाववादी या आतंकवादी क्षेत्र को एक ऐसे क्षेत्र में परिवर्तित किया जा सकता है. क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को भी आमंत्रित किया जा सकता है और वैश्विक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं.
केंद्र सरकार ने कहा,“तीन दशकों की अशांति के बाद जम्मू-कश्मीर में जीवन सामान्य हो गया है. पिछले तीन वर्षों के दौरान स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बिना किसी हड़ताल के सुचारू पूर्वक चल रहे हैं. हड़ताल और बंद की पहले की प्रथा अब अतीत की बात हो गई है. खेल गतिविधियों में भागीदारी अभूतपूर्व है. यह संख्या वर्ष 2022-23 में 60 लाख तक पहुंच गयी है. ये तथ्य स्पष्ट रूप से 2019 में किए गए संवैधानिक परिवर्तनों के सकारात्मक प्रभाव को साबित करते हैं.”
शीर्ष अदालत में पेश हलफनामे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकवादियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा सड़कों पर की जाने वाली हिंसा अब अतीत की बात हो गई है. हलफनामे में दिए गए आंकड़े के अनुसार, “वर्ष 2018 में संगठित बंद/हड़ताल की 52 घटनाएं हुईं, जो वर्ष 2023 में अब तक शून्य हैं. इसके अलावा दृढ़ आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के कारण आतंकी इको-सिस्टम को नष्ट कर दिया गया है, जो वर्ष 2018 में 199 से अब तक आतंकवादी भर्ती घटकर वर्ष 2023 में 12 हो गई है.”
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि उसके आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है. सरकार का दावा है कि आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है . वर्ष 2018 में 228 से घटकर 2022 में 125 और वास्तविक घुसपैठ में 90.2 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. सरकार का दावा है कि संगठित पथराव की घटनाएं 2018 में 1767 हुई थीं, जो घटाकर 2023 में शून्य हो गई. केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 28,400 करोड़ रुपये के बजट के साथ औद्योगिक विकास के लिए फरवरी 2021 में एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना अधिसूचित की गई है. सरकार का दावा है,“केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को 78000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पहले ही ऑनलाइन मिल चुके हैं. वर्ष 2022-23 के दौरान 2153 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश को अमलीजामा पहनाया गया है.