
प्रभुनाथ शुक्ल/भदोही. दुनिया में भदोही की अपनी अलग पहचान है. यहाँ खूब सूरत बेलबूटेदार कालीन का निर्माण होता है. हर साल हजारों करोड़ का कालीन विदेशों में निर्यात होता है. वाराणसी को विभाजित कर 30 साल पूर्व 30 जून 1994 को भदोही जिले का निर्माण मुलायम सिंह यादव ने किया था. इस बीच एक पूरी पीढ़ी जवान हो चली है, लेकिन हमारी विकलांग व्यवस्था स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा और परिवहन को लेकर जस की तस है. बस सरकारें बदली लेकिन जमीनी विकास नहीं दिखा.
भदोही को अभी तक जिला अस्पताल की सुविधा तक नहीँ मिल पाई है. ज्ञानपुर स्थित महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल के रूप में काम कर रहा है. दूसरा बड़ा अस्पताल भदोही स्थित महाराजा बलवंत सिंह चिकित्सालय है. दोनों अस्पताल सिर्फ खांसी- जुकाम तक सीमित हैं. गम्भीर बीमारी या सड़क हादसों का इलाज यहाँ सम्भव नहीँ है. दोनों अस्पताल सिर्फ रेफरल यूनिट हैं. सड़क हादसों पीडितों के पहुँचने के पहले यहाँ रेफर पर्ची तैयार रहती है. घायल व्यक्ति के पहुँचते ही मरहमपट्टी के बाद उसे वारणसी के लिए भेज दिया जाता है. काफी लोग बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुँचने के पूर्व दमतोड़ देते हैं.
भदोही जिले की अनुमानित आबादी करीब 20 लाख से अधिक पहुँच गई है. लेकिन ज्ञानपुर और भदोही स्थित दोनों बड़े अस्पतालों में सिर्फ नाम की वेंटीलेटर सुविधा है. 20 साल पूर्व जिला अस्पताल की आधारशिला बसपा सरकार में तत्कालीन मंत्री रंगनाथ मिश्र ने रखा था , लेकिन आज तक अस्पताल नहीँ बन पाया.
पूर्वांचल के सबसे प्राचीन काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की मांग सालों से चली आ रही है, लेकिन आज तक इस मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया. जबकि पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थापना इसके बाद हुई है. काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय डेढ़ सौ साल पुराना कॉलेज हो चुका है लेकिन जिले के छात्रों की मांग को अनसुना किया गया. महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की राजनेताओं की तरफ से जमीनी स्तर पर कोई पहल नहीं की गयी.
मिर्जापुर-प्रयागराज जिलों को जोड़ने के लिए तीन महत्वपूर्ण सेतुओं की आवश्यकता है. इसकी मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन अभी तक पुलों का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि राजनेताओं की तरफ से यह घोषणा की गई है कि रामपुर, लक्षागृह में पुल बनेगा. प्रयागराज और मिर्जापुर के लोग भदोही से जुड़े हुए हैं. इसकी वजह से बारिश में पीपा पुल टूट जाता है और लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कत होती है. एक लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर अभी तक गौर नहीं किया गया है. हालांकि योगी सरकार में नेताओं की तरफ से आश्वासन मिला है अब देखिए यह पूरा कब होता है.
भदोही दुनिया में कालीन निर्यात के लिए प्रसिद्ध है. विदेशों को जितनी कालीन निर्यात होती है उसमें भदोही की की हिस्सेदारी 50 फ़ीसदी है. निर्यात का अगर आधा पैसा ही भदोही के विकास में लगा दिया जाए तो भदोही की तकदीर और तस्वीर बदल सकती है. हालांकि योगी सरकार ने एक जनपद एक योजना के तहत तत्कालीन उद्योग को चुना है. कालीन एक्सपोमार्ट और ओवरब्रिज का उद्घाटन भाजपा सरकार में हुआ है लेकिन इसकी आधारशिला अखिलेश सरकार में ही रखी गई थी. एक्सपोमार्ट बनने के बावजूद भी कालीन मेला भदोही में नहीं लगता है.
(30 जून भदोही जनपद के स्थापना दिवस पर आप भी अपनी बात रखें)
मैं 30 साल का युवा भदोही हूँ…?