Tuesday , 21 March 2023
बिहार में वैशाली जनपद के वर-वधु ने बौद्ध धर्म अपनाकर एक दूसरे से रचाई शादी

बिहार में वैशाली जनपद के वर-वधु ने बौद्ध धर्म अपनाकर एक दूसरे से रचाई शादी

रिपोर्ट दीपक देवानंद.
वैशाली (बिहार). बुद्ध धम्म की बढ़ती लोकप्रियता के कारण बिहार के वैशाली जिले में वर व वधू पक्ष ने बृहस्पतिवार को बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बिना किसी दहेज व दिखावा के बौद्ध धर्म के परंपरा अनुसार शादी रचाई.
मनियारी थाना क्षेत्र के छबकी निवासी सुरेंद्र राम पुत्र अनिल कुमार और वैशाली पातेपुर निवासी चंद्रविजय राम जी की पुत्री कविता कुमारी ने बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म के अनुसार पंचशील का पालना करते हुए शादी रचाई. दोनों पक्षों को उपासक पक्ष ने उपासिका ने एक दूसरे का साथ, सम्मान रखने की प्रतिज्ञा ली उपासक ने भीमराव अंबेडकर व भगवान बौद्ध को साक्षी मानकर अनिल कुमार को पति स्वीकार किया . बौद्धिक विवाह समरोह को सफ़ल बनाने के लिए मुख्य अतिथि रमन प्रसाद बौद्ध, ललन जी,राजू कु.राम तथा स्वागत कर्ता पातेपुर पूर्व डी एस पी सकलदेव पासवान जी,संजीत,अजीत, सिन्टू,करण,अर्जुन एवं समस्त रविदास परिवार.


आइए आपको बौद्ध विवाह के बारे में कुछ जानकारी देते हैं. बौद्ध विवाह संस्कार में किसी धम्मचारी द्वारा वर वधु को त्रिशरण और पंचशील ग्रहण कराया जाता है,इस पद्धति से विवाह में वर-वधू को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है प्रतिज्ञापन के तुरंत बाद वर-वधू एक दूसरे के गले में फूलों की माला डालते हैं उपस्थित जनसमूह वर-वधू पर फूलों की वर्षा करता है,और मंगल कामनाओं के साथ बिना किसी ढोंग और कर्मकांड के शादी संपन्न होती है, 1— बौद्ध धम्म में फिजूलखर्ची मना है अतः तिथि का निर्धारण ऐसे समय में किया जाना चाहिए जब सामान्यतः लगन का समय नहीं हों, इस प्रकार धन के अपव्यय को रोका जा सकता है, 2— बहुत अधिक गर्मी अथवा बहुत अधिक ठंड अथवा बरसात के मौसम में विवाह की तैयारी करने में कठिनाई हो सकती है अतः विवाह की तिथि ऐसे समय निश्चित करनी चाहिए जब न ज्यादा ठंड हो न ज्यादा गर्मी, 3— बौद्ध धम्म के त्योहार (महत्वपूर्ण पूर्णिमा) के दिन विवाह की तिथि रखने से बचना चाहिये, क्यों कि इन दिनों बुद्ध विहार रिक्त नहीं मिल पायेंगे साथ ही योग्य भिक्क्षु संघ की भी उपलब्धता कठिन होगी, 4— दोनों परिवारों की आम सहमति से सार्वजनिक अवकाश (शनिवार,रविवार) के दिन विवाह संस्कार किया जाना सबसे उचित होगा, 5— विवाह की तिथि से एक या दो दिन पूर्व भिक्क्षु संघ को घर पर बुलाकर परित्राण पाठ कराना चाहिये, 6— विवाह संस्कार बुद्ध—विहार में भी किया जा सकता है.

बिहार में वैशाली जनपद के वर-वधु ने बौद्ध धर्म अपनाकर एक दूसरे से रचाई शादी