- कोरोना के दौरान भी किया संघर्ष, उपचार के दौरान हुईं संक्रमित
भदोही. धरती की भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की मेहनत के लिये हर वर्ष एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर डे मनाया जाता है. एक जुलाई को न सिर्फ हम उनके हौसले को याद करते है बल्कि उनकी सराहना करते है जो कई मरीजों को पुनः जन्म दिया. हमारे बीच कई ऐसे डॉक्टर है जो समाज के लिये मिशाल है. उन्होंने न सिर्फ अच्छा काम किया है बल्कि उनकी वजह से कई लोग प्रेरित हुए है. वाराणसी की रहने वाली डॉक्टर निमिशा सिंह व मिर्जापुर की रहने वाले डॉक्टर रिंकू कुशवाहा की वो कहानी जो आम जनता के बीच मिशाल है.
वाराणसी की रहने वाली डॉक्टर निमिशा सिंह ने महिला के गर्भ में पल रहे तीन बच्चों को सफल ऑपरेशन करके बाद इलाज करके नई जिदंगी दी. पेट में पल रहे तीन बच्चों का एक साथ बच पाने की ख्वाइश छोड़ चुके परिजनों को डॉक्टर ने नई जिदंगी दी. बच्चों की मां सरिता ने कहा कि तीनों बच्चियों को डॉक्टर ने नई जिंदगी दी है. उन्हें में पढ़ा लिखाकर डॉक्टर या फिर आईएएस बनाउंगी. वाराणसी की रहने वाले बाल रोग विशेषज्ञ निमिशा सिंह ने कहा डॉक्टर बनने के बाद समाज, मरीज और परिवार के बीच सामंजस्य बना पाना मुश्किल है. मां होने के साथ में उस दर्द को महसूस करती हूं.
डॉक्टर निमिशा ने बताया कि सरिता जो कि वाराणसी की रहने वाली है. ऐसे में इनके पेट में तीन लड़के थे. तीन बच्चों के होने की स्थिति में इनका समय से पहले ऑपरेशन करना जरूरी था. इससे ज्यादा हम लोगों को कही जरूरी था कि बच्चे की जान बच जाए. सफल ऑपरेशन के बाद अब जान बच गया है. जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ है. दो बच्चियां है और एक बच्चा है.
डॉक्टर निमिशा सिंह ने कोरोना के भयावह काल का किस्सा बताते हुए कहा कि जिस समय परिवार के लोग साथ नही दे रहे थे. उस वक्त हम मरीजों का उपचार कर रहे थे. मरीजों का उपचार करते समय हमें खुद कोरोना हुआ. जहां हम अपने बच्चों से दूर रहे. उसके बाद भी हमने इलाज करना नही छोड़ा. मेरी मां ने कहा कि बेटा जाने दो न जाओ, लेकिन हमने जिम्मेदारी समझी और इलाज किया. कई बार ऐसे वक्त आते है, लेकिन हम दृढ़ता के साथ काम करके उसे मात देते है.
नेशनल डॉक्टर डे: डॉ निमिशा ने माँ का ऑपरेशन कर बचाई तीन शिशुओं की जिंदगी . .