
26वें राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन के तीसरे दिन स्वर्णयुग भारत की स्थापना में मीडिया की भूमिका विषय पर बुद्धिजीवियों ने रखे विचार
आबू रोड, राजस्थान. शब्द की अपनी ताकत होती है. एक पत्रकार के ऊपर निर्भर करता है कि आप शब्दों को किस तरह चुनते हैं, कैसे प्रस्तुत करते हैं. इससे तय होता है कि उस समाचार का समाज पर क्या प्रभाव होगा. आज हम न्यूज चैनल देखते हैं तो लगता है कि ये एक परिचर्या कर रहे हैं या आपस में लड़ रहे हैं. ऐसे में हम अच्छी बात को सकारात्मक और शांति के साथ रख सकते थे. बड़ी से बड़ी बात को हम शालीनता और सभ्यता के साथ रख सकते हैं लेकिन आज के परिदृश्य में देखा जाए तो न्यूज का मतलब हो गया है तड़क-भड़क, मिर्च-मसाला.
उक्त उद्गार दिल्ली से पधारे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया एस्टडीज के डायरेक्टर प्रो. ओमप्रकाश देवल ने व्यक्त किए. ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मीडिया विंग द्वारा आयोजित शांतिवन में चल रहे 26वें राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन के तीसरे दिन देशभर से आए पत्रकारिता जगत के मनीषियों ने स्वर्णयुग भारत की स्थापना में मीडिया की भूमिका विषय पर चिंतन किया. देशभर से आए मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए प्रो. देवल ने कहा कि एक पत्रकार का कर्तव्य है कि जो समाज में घटित हो रहा है जो तथ्य हैं खबर के उसे ज्यों का त्यों पाठकों के समक्ष परोसा जाए. लेकिन उसमें इतना मिर्च-मसाला लगा देते हैं कि मूल तथ्य गायब हो जाते हैं. ऐसे में पाठकों तक जो तथ्य पहुंचना चाहिए वह नहीं पहुंच पाते हैं.
कार्यक्रम में पटना से पधारे सीनियर जर्नलिस्ट व ट्रेनर डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि हमें भारत को विश्वगुरु और स्वर्णयुग बनाने के पहले स्वयं में परिवर्तन लाना होगा. जब तक हमारा जीवन मूल्यनिष्ठ नहीं होगा हम भारत को स्वर्णयुग नहीं बना सकते हैं. मैं अपनी जीवन में आईएएस, आईपीएस जैसे 13 से अधिक टेस्ट दिए लेकिन सभी में फेल हुआ. मेरा सपना था कि मैं जेएनयू से पढ़ाई करुं लेकिन वह भी पूरा नहीं हो पाया न ही आईएएस बन पाया. इससे मैं काफी निराश हो गया, कुछ समय तनाव में भी रहा, लेकिन फिर मैंने जीवन में कुछ करने की ठानी. इसके बाद भोपाल माखनलाल विवि से पीएचडी की. खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि मैं आईएएस जरूर नहीं बन सका लेकिन आज आईएएस और आईपीएस अफसरों को ट्रेनिंग देता हूं. जिस जेएनयू में पढऩे का सपना था आज वहां अपना क्लास लेता हूं. यह सब संभव हुआ जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से. जब हम अपने विचारों को पॉजीटिव बनाते हैं तो हमारी एनर्जी बढ़ती है, आगे बढऩे के लिए ऊर्जा मिलती है.
वहीं लखनऊ से पधारीं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की मेंबर व आल इंडिया स्मॉल न्यूज़ पेपर एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी आरती त्रिपाठी ने कहा कि यदि हमें इस धरा पर स्वर्णयुग लाना है तो मीडिया को आगे आना होगा. निस्वार्थ, निर्भीक और ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करेंगे तो वह समाज को नई दिशा देगा.
पुणे से पधारीं एसएमएस प्रोडक्शन की डायरेक्टर सुपर्णा गंगवाल ने कहा कि सभी मीडियाकर्मी यहां से सकारात्मक पत्रकारिता को बढ़ावा देने का संकल्प लेकर जाएं.
दिल्ली से पधारे इंडियन मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के राजीव कुमार निशाना ने कहा कि जब आप मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता करते हैं तो समस्याएं तो सामने आती हैं लेकिन दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़े तो सफलता जरूर मिलती है. समस्या संबंधी खबरों को लगाएं तो दबाव तो आएगा लेकिन सफलता जरूर मिलेगी.
को-ऑर्डिनेटर बीके सुशांत भाई ने कहा कि श्रीगणेश चतुर्थी मनाया जा रहा है. श्रीगणेशजी से शिक्षा ले सकते हैं कि कैसे अपने जीवन को हर कला में कुशल बनाना है. यदि हम अपने समाचार माध्यम से समाज को सकारात्मकता परोसेंगे तो समाज भी सकारात्मक बनेगा.
कटक (उड़ीसा) से पधारे विंग के जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके नाथुमल ने कहा कि मीडिया के सभी भाई-बहनें यहां से एक संकल्प लेकर जाएं कि अपने समाचार में पॉजीटिव समाचारों को प्रमुखता से स्थान देने के साथ समाज में अच्छा कार्य कर रहे लोगों को अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित करेंगे.
मोटिवेशनल स्पीकर प्रो. ओंकारचंद ने कहा कि मीडिया में समाज को बदलने की ताकत है. यही एकमात्र माध्यम से जो दुनिया में बदलाव ला सकता है. अब हमें तय करना है कि हमारी बातें आग लगाने वाली हों या आग बुझाने वाली हों.
सिद्धपुर से पधारीं सब जोन को-ऑर्डिनेटर बीके विजया ने सभी को राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई.
कार्यक्रम का संचालन संचालन जयपुर से पधारीं जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके चंद्रकला ने किया. सम्मेलन में सभी अतिथियों का मुकुट, शॉल और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया गया.
– संतोष साहू
शालीनता और सभ्यता के साथ समाचार की हो प्रस्तुति : प्रो. देवल