
– जिला अधिकारी कार्यालय के आदेश के बावजूद दो महीने में नहीं बन पाया रिकवरी आदेश
– सुविधा शुल्क लेकर बाबुओं द्वारा दबाई जा रही भ्रष्टाचार की फाइलें
– डी॰सी॰ मनरेगा कार्यालय से भ्रष्टाचारियों को मिल रहा संरक्षण
बस्ती (उत्तर प्रदेश) – बहुचर्चित ग्राम पंचायत कौड़ी कोल खुर्द के मनरेगा घोटाले का जिन्न धीरे – धीरे जनपद के अधिकारियों के गले की फाँस बनता जा रहा है. सुविधा शुल्क लेकर आरोपियों को बचाने के चक्कर में अधिकारी खुद अपना गला फंसाने से जरा सा भी गुरेज नहीं कर रहे हैं और मामले को निपटाने के बजाय उलझाने में लगे हुए हैं. उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर मामले को दबाए रखना व निर्दोष जनता के ऊपर रौब जमाना व अपने आपको किसी से कम न ऑकना विकास भवन के अधिकारियों का रूटीन शो सा बन गया है .
आपको बताते चलें कि ग्राम पंचायत कौड़ी कोल खुर्द , विकास क्षेत्र- कप्तानगंज की पूर्वं प्रधान परमीला वर्मा ने एक ही परिवार के छः व्यक्तियों के नाम दर्जनोँ मनरेगा जाब कार्ड बनाकर तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश कुमार शुक्ल से मिलीभगत करके कई लाखो का वारा न्यारा किया था. भारत सरकार के निर्देश पर हुई जाँच में भ्रष्टाचार की पुष्टि भी हुई जिसके कारण तत्कालीन तकनीकी सहायक राज नरायन चौधरी की सेवा समाप्त कर दी गयी थी परन्तु अधिकारियों की मिली भगत के चलते भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश कुमार शुक्ल के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो पायी केवल दिखावे के लिए गैर ब्लाक स्थानान्तरण किया गया था और आरोपी ग्राम प्रधान परमीला वर्मा के वित्तीय अधिकार तत्काल प्रभाव से सीज कर दिया गया था. जाँच अधिकारी डी०सी० मनरेगा इन्द्रपाल सिंह यादव व तत्कालीन बी०डी०ओ० कप्तानगंज भी बहती गंगा में डुबुकी लगाने से नहीं चूके और मामले में खूब मलाई काटा और रिकवरी धनराशि को न्यूनतम कर दिया. मामले के शिकायतकर्ता लालता प्रसाद चौधरी ने रिकवरी धनराशि को लेकर पुनः वर्तमान जिला अधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन से मिलकर विगत 10 जून 2022 को शिकायत किया तो प्रकरण की गम्भीरता को भांपकर जिला अधिकारी ने मामले की जाँच डिप्टी कलेक्टर श्री सुधाँशु नायक से कराया . डिप्टी कलेक्टर सुधाँशु नायक ने तत्कालीन डी०सी० मनरेगा इन्द्रपाल सिंह यादव द्वारा जारी रिकवरी आदेश की धनराशि को त्रुटिपूर्ण मानते हुए रिकवरी धनराशि में लगभग 150000 ( एक लाख पच्चास हजार ) रूपये बृद्धि की पुष्टि किया. जाँच में रिकवरी धनराशि के बढ़ने से पूर्व के जाँच अधिकारियों के कारनामों की कलई खुल गई और पूर्व के जाँच अधिकारी अपना गला बचाने की मन्नतें मांगते फिर रहे हैं . जिला अधिकारी कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ से लगभग दो माह पहले ही सीडीओ कार्यालय को रिकवरी हेतु पत्र जारी हो चुका है परन्तु भ्रष्टाचारियों के प्रति अधिकारियों की दरियादिली के कारण मामला अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा है और भष्टाचार की रिकवरी अभी भी नहीं हो पायी है .
भष्टाचार के बोझ से जनमानस त्रस्त विकास भवन का डी०सी० मनरेगा दफ्तर कर रहा मनमानी- बस्ती