
विवेक रंजन अग्निहोत्री की बहुप्रतीक्षित ‘द वैक्सीन वॉर’ अपनी घोषणा के समय से ही सुर्खियां बटोर रही है. इस फिल्म की शूटिंग जबकी पूरी हो चुकी है और फिल्म रिलीज के लिए तैयार है, तो फिल्म को लेकर उत्साह भी तेज हो गया है. हालांकि अब तक फिल्म से जुड़ी ज्यादातर जानकारी का खुलासा नही किया गया है, लेकिन फिल्म का टाइटल उस विषय के बारे में बहुत कुछ बताता है जिस पर फिल्म आधारित है. यह दर्शाता है कि यह भारतीय बायो- साइंटिस्ट्स और स्वदेशी टीकों के बारे में कुछ चैप्टर खोलेगा. यह फिल्म कोविड-19 महामारी के अनिश्चित समय के दौरान मेडिकल फ्रेटरनिटी और वैज्ञानिकों के समर्पण को ट्रिब्यूट देगी.
आज, भारत एक देश के रूप में एक कदम आगे है और विश्व स्तर पर हावी हो रहा है. यह असल परिवर्तन महामारी के बाद सामने आया है और जो इस बात का सबूत है कि भारत ने कई बाधाओं का सामना करने के बावजूद कैसे अन्य देशों की तुलना में कोविड की स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला. इसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए विवेक अग्निहोत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा,
“2014 से पहले हम अपने नेताओं को एक कोने में झुके हुए कंधों और भीख मांगने वाले कटोरे के साथ खड़े देखते थे. जियो-पॉलिटिक्स में, भारत पाकिस्तान के साथ संघर्ष में बस एक और अधिक आबादी वाला, विकासशील देश था.
क्या बदल गया?
बहुत सारे आलोचक इसे ऑप्टिक्स मैनेजमेंट कह सकते हैं.
वे बिलकुल गलत हैं.
जियो-पॉलिटिक्स निर्दयी है. कूटनीति अर्थव्यवस्था, सैन्य शक्ति, आपसी मदद और सहयोग पर काम करती है.
2014 से पहले कोई “इंडिया स्टोरी’ नहीं थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बदल दिया. उन्होंने दुनिया को एक आशाजनक ‘इंडिया स्टोरी’ सुनाई. सिर्फ वादे में नहीं. लेकिन अमल में भी.
यदि आपकी अर्थव्यवस्था वास्तव में मजबूत और आशाजनक नहीं है तो कोई भी देश आपकी परवाह नहीं करता है. संयुक्त राज्य अमेरिका जैसा निर्मम पूंजीवादी देश आपकी परवाह नहीं करता है अगर उनके पास लाभ के लिए कुछ नहीं है. ट्रंप हों या बाइडेन, हमने देखा है कि अमेरिका का भारत के प्रति प्रेम कई गुना बढ़ रहा है.
संदेश साफ है- भारत एक उभरती हुई महाशक्ति है.
और जरूरत में एक सच्चा दोस्त.
असली बदलाव कोविड संकट के दौरान हुआ. ज्यादातर एजेंसियों ने और यहां तक कि हमारे अपने लोगों ने भी भारत को बट्टे खाते में डाल दिया था. माना जा रहा था कि सबसे ज्यादा मौतें भारत में होंगी. दुनिया ने देखा कि वे कितने गलत थे.
विदेशी वैक्सीन और फार्मा लॉबी ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और भारत पर दबाव बनाने और ब्लैकमेल करने की कोशिश की.
जैसे पहले किया करते थे. भारत के खिलाफ इस युद्ध में भारत के अनेक शक्तिशाली समूहों ने उनकी मदद की. जैसे पहले किया करते थे.
मास्क और पीपीई किट के लिए चीन ने हमें ब्लैकमेल किया.
अमेरिका ने वैक्सीन संसाधनों की आपूर्ति को रद्द करने की कोशिश की”
उन्होंने आगे लिखा, “आजादी के बाद पहली बार, भारत को उसके सभ्यतागत मूल्यों के लिए पहचाना जा रहा है. और इसलिए आप देख रहे हैं कि विश्व के नेता या तो पैर छू रहे हैं या भारत के प्रधानमंत्री को गले लगाने को बेताब हैं.
प्रधानमंत्री को गले लगाना भारत को गले लगाने जैसा है. हम लोगों को. हमारे भविष्य को.
-विवेक रंजन अग्निहोत्री”
https://www.instagram.com/p/CsiSOEhI7Ko/
इस दौरन कुछ ऑर्गेनाइजेशन पार्टियां और मीडिया हाउस लगातार इस जीत को बदनाम करने की दिशा में काम कर रहे थे. तभी से विवेक अग्निहोत्री उन नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहे हैं और उन्हें बेनकाब कर रहे हैं. जबकि 2023 में भी कोविड-19 चीन, ब्रिटेन सहित कई और दूसरे देशों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है, वहीं 1.4 अरब लोगों की आबादी होने के बावजूद भारतीय वैक्सीन अपने यूजर्स को कोरोना से बचाने में सफल रही है. विवेक रंजन अग्निहोत्री और निर्माता पल्लवी जोशी की ये फिल्म अब तक की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है जो 15 अगस्त, 2023 को 11 भाषाओं में रिलीज़ होगी.
भारत के सुपरपावर के रूप में उभरने पर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा, “असली बदलाव कोविड संकट के दौरान हुआ”!