नयी दिल्ली . मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष के भारी हंगामे एवं नारेबाज़ी के बीच लोकसभा ने सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें सिनेमा पायरेसी को रोकने के लिए तीन साल तक के कारावास एवं तीन लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे सदन के समवेत होने पर पीठासीन अधिकारी किरीट सोलंकी ने जैसे ही आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाना शुरू किया, वैसे ही तख्तियां उठाये विपक्षी सदस्यों ने सदन के बीचोंबीच आकर नारेबाजी शुरू कर दी. श्री सोलंकी ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और तत्पश्चात वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी), प्रोपेन एवं ब्यूटेन के आयात शुल्क बढ़ाने के संवैधानिक प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कराया. बात साफ है कि लोकसभा में विपक्ष मणिपुर को लेकर हंगामा करता रहा, सत्ता पक्ष विधेयक पारित करता रहा.
इसके बाद जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिसंबर 2022 में लोकसभा से पारित संविधान (अनुसूचित जनजाति आदेश पांचवा संशोधन) विधेयक 2022 और संविधान (अनुसूचित जनजाति आदेश तीसरा संशोधन) विधेयक 2022 में राज्यसभा द्वारा किये गये संशोधन को स्वीकार करने के दो प्रस्ताव किये जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की. इसके पश्चात सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 पेश किया और कहा कि भारत का सिनेमा उद्योग विश्व का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है. पायरेसी के दीमक भारतीय सिनेमा उद्योग को खोखला कर रहे हैं. सालाना करीब 20 से 22 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है जिसका सीधा असर फिल्म निर्माताओं से लेकर स्पॉट ब्वाय, कैमरामैन, डांसरों एवं अनेक अन्य छोटे कलाकारों एवं कामगारों पर पड़ रहा है. उन्हें उनका वाजिब मेहनताना नहीं मिल पा रहा है.
श्री ठाकुर ने कहा कि सूचना प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के गहन विचार मंथन के बाद इस विधेयक को तैयार किया गया. इसके बाद इस विधेयक पर क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अपनी बहुमूल्य राय दी तब कहीं जा कर इसे सदन में पारित करने के लिए पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें तीन माह से लेकर तीन साल का कारावास तथा तीन लाख रुपए से लेकर फिल्म की लागत का पांच प्रतिशत में जो अधिक हो, का जुर्माना लेने का प्रावधान किया गया है. इससे फिल्मकारों को न्याय मिल सकेगा.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में फिल्मों के प्रमाणन में बदलाव करके अभिभावकों की देखरेख में बच्चों के देखने योग्य फिल्मों के तीन प्रकार की आयु -सात वर्ष, 13 वर्ष एवं 16 वर्ष के आधार पर प्रमाणन करने का निर्णय लिया गया है. इसी प्रकार से ‘ए’ या ‘एस’ प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टेलीविजन या केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य मीडिया पर प्रदर्शन के लिए सेंसर बोर्ड की अनुशंसा पर कतिपय दृश्यों को काटने के बाद प्रसारित करने की छूट प्रदान की गयी है. इस विधेयक में फिल्मों के संबंध में जांच करने एवं कार्रवाई करने के केन्द्र सरकार के अधिकार काे समाप्त करके उसे सेंसर बोर्ड तक सीमित किया गया है.
बाद में इस विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के मनोज तिवारी, वाईएसआर कांग्रेस के जी आर गुरुमूर्ति, बहुजन समाज पार्टी के राम शिरोमणि, शिवसेना के कृपाल तुमाने, निर्दलीय नवनीत राणा और भाजपा के शंकर लालवानी ने भाग लिया.
चर्चा का जवाब देते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि भारतीय सिनेमा भारत की सबसे प्रभावशाली साॅफ्ट पावर है. इसने दुनिया के अनेक देशों में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की धाक जमायी है. भारत को किस्से कहानियों के देश के रूप में जाना जाता था. बाद में ये कहानियां सिनेमा के रूप में पर्दे पर उतरीं. भारतीय फिल्मों के गीत संगीत दुनिया भर में लोकप्रिय हैं. आने वाले वर्षों में भारतीय फिल्म उद्योग साढ़े सात लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा. इस उद्योग को फलने फूलने के लिए मौका देने के लिए इस विधेयक को लाया गया है. इसके बाद सदन में विपक्षी सदस्यों के नारेबाजी एवं हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. शोरशराबे को देखते हुए श्री सोलंकी ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी.