नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से गुरुवार तक यह बताने को कहा कि जिस राजनीतिक दल को दिल्ली शराब नीति घोटाले में लाभार्थी बताया जा रहा है, उसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की पीठ ने ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से पूछा कि पूरा मामला यह है कि पैसा एक राजनीतिक दल को गया और वह राजनीतिक दल अभी भी आरोपी नहीं है. पीठ ने राजू से पूछा,“आपके अनुसार, यदि पार्टी घोटाले की लाभार्थी है तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया.”
शीर्ष अदालत ने यह सवाल आम आदमी पार्टी (आप) नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से पूछा. पीठ ने आगे कहा कि जहां तक नीतिगत फैसले का सवाल है, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तभी लागू होगा जब रिश्वतखोरी या बदले की भावना का कोई तत्व हो.
पीठ के समक्ष श्री सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने जमानत देने की गुहार लगाते हुए दलील कि उनके मुवक्किल के खिलाफ एक भी पैसे का लेन-देन नहीं पाया गया है और मौजूदा विधायक होने के नाते उनके भागने का खतरा भी नहीं है. उन्होंने कहा,“बाकी सभी (आरोपियों) को जमानत मिल गई है. दुर्भाग्य से उन्हें (सिसोदिया) जमानत नहीं मिली.”
इस मामले में ईडी ने श्री सिसोदिया को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति बनाने और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए धन शोधन और भ्रष्टाचार का आरोपी बनाकर 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था, तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत याचिका ठुकराये जाने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.