- हैदराबाद के रज़ाकार के खूनी खेल और आजादी की वीरों के कहानी
- ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के साथ नरसंहार की अनकही कहानी पर्दे पर आने को तैयार
भारतीय फ़िल्मों में क्रूर घटनाओं और सामूहिक नरसंहार जैसे विषय को लेकर फ़िल्म बनाने का ट्रेंड देखा जा रहा हैं फ़िल्म मेकर्स इतिहास में घटित ऐसी घटनाओं पर साहस के साथ फ़िल्म बना रहे हैं जिस पर पहले खुलकर बात भी नहीं की जाती थी . देश की आज़ादी के समय हैदराबाद में हुए नरसंहार पर आधारित फ़िल्म ‘‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ का ट्रेलर जारी किया हैं जो हमें एक ऐसी ऐतिहासिक घटना से बारे में बताएगा जिसे अब तक दबाया गया हैं. इस सच्चाई से देश को पिछले 75 वर्षों से दूर रखा गया था.
अभिनेत्री कंगना राणावत की उपस्थिति में फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ का ट्रेलर मुंबई में लाँच किया गया. इस अवसर पर फ़िल्म के मुख्य कलाकार मकरंद देश पांडेय, राज अर्जुन, बॉबी सिम्हा , वेदिका, तेज सप्रू, अनुसिया त्रिपाठी के साथ ही फ़िल्म के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी, निदेशक याता सत्यनारायण, एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर डॉ अंजलि रेडी पोथिरेड्डयी, संगीतकार भीमस केचीरोलेओ, कैमेरामैन कुशेंदार रमेश रेड्डी और फ़िल्म के लेखक रितेश रजवाड़ा उपस्थित थे .
ट्रेलर के पहले दृश्य में औरतों, बच्चों और बुजुर्गों पर अत्याचार के साथ हैदराबाद के निज़ाम का हिंदुओं के प्रति घृणा से भरा आदेश जारी किया जाता हैं कि ‘ओमक़ार सुनाई नहीं देना चाहिए और भगवा दिखाई नहीं देना चाहिए’ , दूसरी तरफ सरदार पटेल का संदेशा निज़ाम तक आता हैं कि हैदराबाद को हिंदुस्तान में विलय नहीं किया तो हालात बिगड़ जाएँगे. अत्याचार और नरसंहार के बीच आजादी की वीर संकल्प लेते है कि युद्ध करना ही पड़ेगा, धर्म विरोधियो की समाधि बनानी ही पड़ेगी. जो दरिंदे हमें मारना चाहते हैं उन्हें मरना भी सीखना पड़ेगा .
पाकिस्तान हैदराबाद को तुर्किस्तान बनाना चाहता हैं इसके लिए वह अपने सैनिकों के साथ मिलकर साजिश कर रहा हैं और धर्म विरोधी रज़ाकर कहता है हिंदुस्तान को काफिरों के जलते हुए बदन की बदबू से भर दो. भारतीय सेना और आजादी के वीर एक साथ मिलकर निजाम के रज़ाकार के बीच खूनी लड़ाई शुरू हो जाती हैं गोले बरसाते टैंकर, बमबारी के बीच जाँबाज़ी से लड़ते सैनिक, ख़ूँख़ार रज़ाकारों से तलवारबाजी करती वीरांगना के साथ सरदार पटेल के सवाद ना संधि ना समर्पण अब बस युद्ध होगा के २ मिनट और ३८ सेकंड का यह ट्रेलर साँसो को थाम देता हैं . देश की आज़ादी के समय निर्दोष लोगों हत्या की कहानी के कई दृश्य विचलित करते हैं तो कई संवाद जोश से भर देते हैं.
फ़िल्म के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी कहते हैं हम चाहते है की दर्शक एक बड़े स्तर पर इस क्रूर नरसंहार की घटना और आजादी के वीरों की इस कहानी को फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के माध्यम से देखे.
फ़िल्म के निर्देशक याता सत्यनारायण कहते हैं ‘रजाकारों द्वारा किये गये रक्तपात के आगे हिटलर की अत्याचार भी कम थे . बस, ट्रेन में जा रही हिंदू महिलाओं को नीचे उतारकर नग्न होकर बतुकम्मा (लोकनृत्य) नाचने जैसे कई हृदयविदारक दृश्य हैं जिन्हें हमने फ़िल्माया हैं ऐसे समय में हैदराबाद के लोगों ने अपनी मुक्ति के लिए क्या और कैसे संघर्ष किया.
अभिनेत्री कंगना राणावत ने कहाकि‘मैंने दो दिन पहले ट्रेलर देखा और मुझे बहुत पसंद आया . मेरे जो भी प्रशंसक है अपनी क्षमता से मैं फ़िल्म को प्रमोट करूँगी . हमने हमेशा पुस्तक में गांधी और जवाहर नेहरू के बारे में पढ़ा हैं है और किसी को नहीं जानते . आज सरदार पटेल की मूर्ति बन रही हैं . सरदार वल्लभभाई पटेल शिव हैं जिन्होंने देश को एक सूत्र में पकड़ कर रखा . आजादी मिलने के बाद भारत की एकता को बचाया हैं देश की आत्मा को बचाया हैं भारत ने उत्तर दक्षिण की एकता के लिए भी खून की नदियां बहीं हैं . आज हमें रज़ाकर जैसी फ़िल्मों की ज़रूरत हैं मैं चाहूँगी फ़िल्म के माध्यम से हम इस तरह की घटनाओं को जान सकेंगे .
समरवीर क्रिएशन एलएलपी के बैनर तले निर्मित फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी हैं फ़िल्म के लेखक निर्देशक याता सत्यनारायण और संगीतकार भीमस केचीरोलेओ हैं फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ हिंदी में 1 मार्च को सिनेमागृह में रिलीज होगी. फ़िल्म हिंदी के साथ ही तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम में भी बड़े पर्दे पर रिलीज होगी.