भदोही स्थापना दिवस 30 जून पर विशेष: मैं 30 साल युवा भदोही हूँ, मुझे उम्मीद है ‘विकास’ कभी आएगा..?

  • शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के विकास पर नहीं हो पाया कोई विशेष काम
  • रामपुर,  डूंगरपुर टेला गंगा घाट पर नहीं बन पाया सेतु
  • केएनपीजी कॉलेज नहीं बन पाया विश्वविद्यालय, जिला अस्पताल सिर्फ नाम का

प्रभुनाथ शुक्ल/भदोही. दुनिया में भदोही की अपनी अलग पहचान है. यहाँ की खूबसूरत बेलबूटेदार कालीन का निर्माण होता है. देश के नए संसद भवन में भदोही की कालीन बिछी है. भदोही की चर्चा खुद प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करते हैं. लेकिन हर साल हजारों करोड़ का कालीन विदेशों में निर्यात करने वाला भदोही 30 सालों से विकास को लेकर कसमसा रहा है. एक पूरी पीढ़ी जवान हो गयीं लेकिन विकास खुद दिया लेकर स्वयं को तलाश रहा है.
भदोही 30 साल पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का हिस्सा हुआ करता था. 30 जून 1994 को भदोही जिले वाराणसी से अलग कर दिया गया. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भदोही को अलग जिला घोषित किया था. इस बीच एक पूरी पीढ़ी जवान हो चली है, लेकिन हमारी विकलांग व्यवस्था स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा और परिवहन को लेकर जस की तस है. बस सरकारें बदली लेकिन जमीनी विकास नहीं दिखा. पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे पंडित श्यामधर मिश्र के प्रयास से औराई में स्थापित दी काशी सहकारी चीनी मिल 25 सालों से बंद है मशीनें जंग खा गई लेकिन बदलती सरकारें उसे संचालित नहीं करा पाई. जबकि पूर्वांचल में सबसे पहले इस मिल की स्थापना की गयीं थी.
भदोही को अभी तक जिला अस्पताल की सुविधा तक नहीँ मिल पाई है. ज्ञानपुर स्थित महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल के रूप में काम कर रहा है. हालांकि कहने को जिला मुख्यालय सर पता हमें जिला अस्पताल संचालित है लेकिन कितनी बेहतर सुविधाएं हैं यह भगवान भरोसे है. दूसरा बड़ा अस्पताल भदोही स्थित महाराजा बलवंत सिंह चिकित्सालय है. दोनों अस्पताल सिर्फ खांसी- जुकाम तक सीमित हैं. गम्भीर बीमारी या सड़क हादसों का इलाज यहाँ सम्भव नहीँ है. दोनों अस्पताल सिर्फ रेफरल यूनिट हैं. सड़क हादसों में पीडितों के पहुँचने के पहले यहाँ रेफर पर्ची तैयार रहती है. घायल व्यक्ति के पहुँचते ही मरहमपट्टी के बाद उसे वारणसी के लिए भेज दिया जाता है. काफी लोग बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुँचने के पूर्व दमतोड़ देते हैं.
भदोही जिले की अनुमानित आबादी करीब 20 लाख से अधिक पहुँच गई है, लेकिन ज्ञानपुर और भदोही स्थित दोनों बड़े अस्पतालों में सिर्फ नाम की वेंटीलेटर सुविधा है. 20 साल पूर्व जिला अस्पताल की आधारशिला बसपा सरकार में तत्कालीन मंत्री रंगनाथ मिश्र ने रखा था , लेकिन आज तक अस्पताल पूर्ण रूप से नहीँ बन पाया.
पूर्वांचल के सबसे प्राचीन काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की मांग सालों से चली आ रही है, लेकिन आज तक इस मांग को सरकारों ने पूरा नहीं किया. जबकि पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थापना इसके बाद हुई है. काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय डेढ़ सौ साल पुराना कॉलेज हो चुका है लेकिन जिले के छात्रों की मांग को अनसुना किया गया. महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की राजनेताओं की तरफ से जमीनी स्तर पर कोई पहल नहीं की गयी.
मिर्जापुर-प्रयागराज जिलों को भदोही से जोड़ने के लिए तीन महत्वपूर्ण सेतुओं की आवश्यकता है. इसकी मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन अभी तक पुलों का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि राजनेताओं की तरफ से यह घोषणा की गई है कि रामपुर, लक्षागृह में पुल बनेगा लेकिन कुछ नहीं हुआ. भदोही संसदीय इलाके में आने वाले टेला गंगा घाट पर भी सेतु का निर्माण नहीं हो पाया जबकि यहां हादसे होते हैं. प्रयागराज और मिर्जापुर के मध्य 90 किलोमीटर की दूरी में एक भी सेतु गंगा में नहीं है. बारिश में पीपा पुल टूट जाता है और लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कत होती है. एक लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर अभी तक गौर नहीं किया गया है. हालांकि योगी सरकार में नेताओं की तरफ से आश्वासन मिला है लेकिन जमीन पर कुछ नहीं.
भदोही दुनिया में कालीन निर्यात के लिए प्रसिद्ध है. विदेशों को जितनी कालीन निर्यात होती है उसमें भदोही कि हिस्सेदारी 50 फ़ीसदी है. निर्यात का अगर आधा पैसा ही भदोही के विकास में लगा दिया जाए तो भदोही की तकदीर और तस्वीर बदल सकती है. हालांकि योगी सरकार ने एक जनपद एक योजना के तहत तत्कालीन उद्योग को चुना है. कालीन एक्सपोमार्ट और ओवरब्रिज का उद्घाटन भाजपा सरकार में हुआ है लेकिन इसकी आधारशिला अखिलेश सरकार में ही रखी गई थी. मोटे तौर पर देखा जाय तो स्वास्थ्य शिक्षा चिकित्सा परिवहन के विकास को लेकर भदोही अभी बहुत पिछड़ा हुआ है. जनपद के युवाओं में असीम ऊर्जा है लेकिन उन्हें सुविधाएं न मिल पाने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. सरकारें बदली नेता बदले लेकिन विकास जनता के भरोसे को नहीं जीत पाया. इन अधूरे सवालों का जबाब किसी के पास नहीं है. फिलहाल आप सबको जनपद स्थपना दिवस की बधाई. आप माहसूस कीजिए की हम खूब सूरत विकास के मध्य झूल रहे हैं.

25 सालों से बंद पड़ी औराई चीनी मिल: विनोद श्यामधर
भदोही. जनपद के उपेक्षित विकास को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित श्यामधर मिश्र के बेटे एवं सामाजिक, राजनैतिक व्यक्तित्व विनोद श्यामधर का आरोप है कि जिले में ठोस विकास कार्य नहीं हो पाया. जनपद का निर्माण हुए 30 साल बीत गया. बाबूजी के प्रयास से औराई में स्थापित चीनी मिल बरसों से बंद पड़ी है. कलपुर्जे जंग खा रहे हैं. 25 साल से मिल का संचलन बंद होने से लोग बेरोजगार हो गए. सिर्फ सरकारें बदले, लेकिन चीनी मिल का संचालन नहीं हो पाया. काशी नरेश राजकीय कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल पाया. जिले में राजकीय बसों कि परिवहन सुविधा का अभाव. स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बेहद खराब है. रामपुर, डेंगूरपुर-धनतुलसी और टेला जैसे गंगा घाटों पर जनता की लम्बी मांग के बाद भी सेतु का निर्माण नहीं हो पाया. उनका आरोप है कि जनपद में जो ठोस विकास होने चाहिए थे वह नहीं हो पाए. इसके लिए सिर्फ बदलती सरकारें और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं, लेकिन परेशानी भुगत रहीं जनता.

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