फिल्म रिव्यू: “कुछ खट्टा हो जाए”

आज यानि 16 फरवरी 2024 को रिलीज हुई गुरु रंधावा एवं सई मांजरेकर की फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” परिवारिक कहानी पर बुनी गयी ऐसी फिल्म है जो तमाम घरों की अपनी कहानी लग सकती है. फिल्म में इन दो लीड कलाकारों के अलावा अनुपम खेर, इला अरुण, अतुल श्रीवास्तव, परितोष त्रिपाठी, परेश गणात्रा एवं साऊथ के स्टार कॉमेडी एक्टर ब्रम्हानंद ने अभिनय किया है. अमित भाटिया एवं लवीना भटिया द्वारा निर्मित फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” का निर्देशन जी अशोक ने किया है. इसे राज सलूजा, निकेत पांडे, विजय पाल सिंह एवं शोभित सिन्हा ने मिलकर लिखा है.
कहानी: फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” की कहानी आई ए एस की तैयारी कर रही इरा मिश्रा (सई मांजरेकर) और उसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हीर अरोरा (गुरु रंधावा) पर बेस्ड है. हीर और इरा अच्छे दोस्त हैँ जबकि हीर इरा को रिझाने की कोशिश करता रहता है. लेकिन इरा है कि उसका एक ही फोकस रहता है उसे आईएएस क्लियर करना है. इसी के चलते हीर की तमाम कोशिशें नाकाम रहती है. बावजूद इसके दोनों अच्छे दोस्त हैं.
इधर इरा के घर में छोटी बहन है जो जल्दी से शादी करना चाहती है लेकिन चुंकि बड़ी बहन इरा अपने सपने पूरे करने के लक्ष्य के चलते शादी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचती. जबकि उधर हीर के दादाजी (अनुपम खेर) जल्द ही अपने पोते की शादी कर देना चाहते हैँ ताकि उनके घर में वर्षों बाद नन्हा मेहमान आ सके. वे लगातार हीर पर दबाव बनाते हैं कि या तो उनकी बताई लड़की से शादी करे या कोई लड़की खुद बताये जिससे हम तुम्हारी शादी करवा सकें. बस शादी कर ले. इसी बीच इरा के घर वाले बताते हैं कि उसकी बहन 2 महीने की प्रेग्नेंट है और अगर उसकी जल्दी से शादी नहीं की गयी तो बहुत बदनामी होगी तथा हीर के दादा जी का बढ़ती उम्र के चलते तबियत बिगड़ने लगता है और वे जल्दी से नन्हे मेहमान को देखना चाहते हैं. हीर और इरा कॉलेज में मिलते हैं और एक दूसरे को अपनी प्रॉब्लम बताते हैं और आपस में बात करते हैं कि जब दोनों की प्रॉब्लम एक सी है तो क्यों न एक दूसरे से शादी कर लें. हालांकि प्रॉब्लम ज्यादा इरा की है फिर भी हीर इस बात के लिए राजी हो जाता है कि जब तक इरा का आईएएस नहीं हो जाता तब तक दोनों बच्चा पैदा नहीं करेंगे. दोनों घर में शादी के लिए हाँ कहते हुए अपनी – अपनी पसंद के बारे में बताते हैं जिस पर घर वाले हाँ करते हुए दोनो की शादी करवा देते हैं. उसके बाद शुरु होती है असली परेशानी. चूँकि दादाजी एवं परिवार के अन्य सदस्यों को नये मेहमान का इंतज़ार है इसलिए इन पर नज़र बनाये हुए हैं जबकि इरा का ध्यान पढ़ाई पर है. इरा पहली ही रात से हीर को दूर रहने के लिए कहती है, जिसे वह स्वीकार कर लेता है. अब आगे की कहानी फिल्म में देखेंगे तो ज्यादा मजा आएगा.
अभिनय: अगर हम अभिनय की बात करें तो पंजाबी और भोजपुरी फिल्मों को छोड़ दें तो बाकी फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर के रूप में गायक बहुत कम ही पसंद किये गये हैं. सोनू निगम, शान, हिमेश रेशमिया आदि कलाकारों ने भी कोशिश की लेकिन सफल नहीं रहे. गुरु रंधावा को भी “कुछ खट्टा हो जाए” में देखकर ऐसा ही लगता है. हां, अगर एक्टिंग करना है तो उन्हे इस पर काफी मेहनत की जरूरत है. इसी तरह सई मांजरेकर खूबसूरत तो लगी हैं लेकिन किरदार को प्रभावशाली नहीं बना सकी हैं, उन्हें भी काफी मेहनत की जरूरत है. बाकी कलाकारों में अनुपम खेर, इला अरुण, अतुल श्रीवास्तव, परितोष त्रिपाठी, परेश गणात्रा आदि ने हमेशा की तरह अच्छी कमेस्ट्री जमाई है. ऐसा लगता है फिल्म का पूरा बोझ अनुपम खेर के ही कंधों पर डाल दिया गया हो. छोटे से रोल में साउथ के कॉमेडी स्टार ब्रम्हानंद बढ़िया लगे हैं.
डायरेक्शन: जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” का निर्देशन जी अशोक ने किया है. वे तेलगु सिनेमा की कई फिल्मो का निर्देशन कर चुके हैं लेकिन इसमें कहीं न कहीं तारतम्य बिठाने में कमजोर पड़ गये हैं. मजे हुए कलाकारों से तो उन्होंने अभिनय करवा लिए लेकिन इस फिल्म से डेब्यू कर रहे गुरु रंधावा एवं सई मांजरेकर से उम्मीद के मुताबिक अभिनय करवाने में नाकाम रहे. स्टोरी और कास्ट के हिसाब से देखें तो काफी अच्छा कर सकते थे.
संगीत: फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” का म्यूजिक ठीक है सारे गाने पंजाबी मिक्स हैं. हालांकि कोई ऐसा गाना नहीं लगा जिसे थियेटर के बाहर निकलकर गुनगुनाया जा सके.
कुल मिलाकर फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” को परिवारिक फिल्म देखने वालों को पसंद आ सकती है. . की तरफ से फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” को 2.5 स्टार. 

  • दिनेश कुमार