नयी दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर होने का आरोप लगाते हुए कहा वह विपक्ष के शीर्ष नेताओं को जेल भेजकर लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि 2014 से 2022 के बीच ईडी-सीबीआई समेत अन्य एजेंसियों द्वारा नेताओं पर किए गए कुल मुकदमों में से 95 फीसद भाजपा के विरोधी राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ हुए हैं. इस दौरान कुल 125 बड़े नेताओं पर मुकदमें दर्ज हुए और इसमें से लगभग 118 भाजपा के विरोधी दल के नेता हैं. इन नेताओं पर दर्ज केस को इस तरह पकाया गया कि जब चुनाव नजदीक आएगा, राजनैतिक परिस्थिति बदलती दिखेंगी तो समन भेज कर नेताओं को बुला लेंगे. अगर फिर भी वह नेता नहीं माने तो उसे पकड़कर जेल में डाल देंगे.
श्री चड्ढा ने कहा कि इस बीच इंडिया गठबंधन बनने का एक बड़ा राजनैतिक घटनाक्रम होता है. इंडिया गठबंधन बनते ही भाजपा बुरी तरह से घबरा गई. भाजपा को यह समझ में आ गया कि अभी तक तमाम पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ती थी और वोट बंट जाता था. ऐसे में भाजपा सीटें जीत जाती थी और सरकार बना लेती थी. वहीं, अगर भाजपा के एक प्रत्याशी के खिलाफ इंडिया गठबंधन का एक प्रत्याशी चुनाव लड़ता है तो भाजपा की सीटें कम होती हैं और भाजपा हारती हुई नजर आती है. यही डर भाजपा को सता रहा है.
आप नेता ने कहा कि हमारे सूत्रों ने बताया कि इसी को देखते हुए भाजपा ने यह रणनीति बनाई है कि इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों के मुख्य नेताओं को पकड़कर जेल में डाल दो. जब पार्टी का टॉप नेता जेल में डाल दिया जाएगा तो वह चुनाव कैसे लड़ेगा? दिल्ली में सात लोकसभा सीटें हैं. इंडिया गठबंधन एकजुट होकर लड़ता है तो सातों सीट भाजपा हार जाएगी. दिल्ली की सातों सीटें हारने का डर भाजपा को इतना सता रहा है कि वह पहली गिरफ्तारी की शुरूआत दिल्ली से करने जा रही है, ताकि इन सातों सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने की स्थिति में न रहे. भाजपा का लक्ष्य है कि अरविंद केजरीवाल को जेल में डालो और दिल्ली की सातों सीट जीत लो.
श्री चड्ढा ने कहा कि भाजपा का सबसे बड़ा उद्देश्य ये है कि देश में एक ही पार्टी और एक ही नेता बचे, बाकी सारी पार्टियां समाप्त हो जाएं. कोई पार्टी चुनाव लड़ने के लायक न रहे, ताकि न रहेंगी विरोधी पार्टियां और न तो इनके नेता चुनाव लड़ पाएंगे. उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं के मोबाइल फोन की जासूसी को लेकर कहा कि जासूसी का मसला बहुत खतरनाक है. यह बड़ी दिलचस्प चीज है कि ऐसा कौन है जो सिर्फ विपक्षी दलों के संसद सदस्यों की जासूसी कर रहा है. इसका फायदा किसको होगा?