राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महात्मा गांधी के आदर्शों को आत्मसात करने की अपील की

नयी दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को देश के नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों से महात्मा गांधीजी के बारे में अधिक से अधिक पढ़ने और उनके आदर्शों को आत्मसात करने की अपील की. श्रीमती मुर्मु ने कहा कि गांधीजी के आदर्श और मूल्य हमारे देश एवं समाज के लिए बहुत प्रासंगिक हैं तथा उनका मार्ग ही विश्व-कल्याण और विश्व-शांति का मार्ग है.
राष्ट्रपति ने यहां गांधी दर्शन में गांधीजी की 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया और परिसर में ‘गांधी वाटिका’ का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने सभी नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों से आग्रह से गांधीजी के बारे में अधिक से अधिक पढ़ने और उनके आदर्शों को आत्मसात करने की अपील करते हुए कहा कि ‘इस संबंध में गांधी स्मृति, दर्शन समिति तथा ऐसी अन्य संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.’
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीवादी संस्थाएं पुस्तकों, फिल्मों, संगोष्ठियों, कार्टूनों और अन्य संचार माध्यमों के जरिए युवाओं और बच्चों को गांधीजी के जीवन की शिक्षाओं के बारे में अधिक जागरूक कर सकती हैं और गांधीजी के सपनों के भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं.
श्रीमती मुर्मु ने कहा , ‘ महात्मा गांधी संपूर्ण विश्व समुदाय के लिए वरदान स्वरूप हैं. उनके आदर्शों और जीवन मूल्यों ने पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी है. उन्होंने अहिंसा का मार्ग उस समय दिखाया जब विश्व-युद्धों के कालखंड के दौरान दुनिया घृणा और द्वेष से ग्रसित थी.’
उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा के साथ गांधीजी के प्रयोग ने उन्हें एक महामानव का दर्जा दिया. राष्ट्रपति ने बताया कि उनकी प्रतिमाएं कई देशों में स्थापित हैं और दुनिया भर के लोग उनके आदर्शों में विश्वास करते हैं. उन्होंने नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और बराक ओबामा का उदाहरण देते हुए कहा कि कई महान नेताओं ने गांधीजी द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग को विश्व कल्याण का मार्ग माना. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर विश्व शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी ने सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता पर बहुत बल दिया. उनका मानना था कि नैतिक शक्ति के आधार पर ही अहिंसा के माध्यम से हिंसा का सामना किया जा सकता है.