कैली हॉस्पिटल में मरीजों का बुरा हाल कागजी खानापूर्ति में ही निकल जाता है पूरा दिन

बस्ती (उत्तर प्रदेश). जनता का हाल यूं ही बदहाल नहीं होता कभी हॉस्पिटल जाकर तो देखो सरकार की लाख योजनाओं को धत्ता बताते हुए कर्मचारी मरीज के साथ इतनी लापरवाही करते हैं जैसे बूचड़खाने में पशुओं के साथ होता है, कभी-कभी हालात तो इतने बद से बदतर हो जाते हैं कि मरीज दवा के बिना दम तोड़ देता है और उनकी लापरवाही इतनी होती है कि मरीज के पास तक इनको जाना ना गवार गुजरता है धरातल पर कभी सच्चाई जाननी हो तो “महर्षि वशिष्ठ स्वायत्त राज्य मेडिकल कॉलेज” कैली बस्ती मे पधारिये एक मरीज को दिखाने में आपको पूरा दिन ना लग जाए तो फिर कहना. कागजी खानापूर्ति में ही सारा दिन गुजर जाता है चाहे मरीज कितना भी सीरियस हो लेकिन बिना कागजी खानापूर्ति के कोई उपचार नहीं और कर्मचारी इतने लापरवाह की सुनने को तैयार नहीं. एक जांच करवाने में आपके पसीने छूट जाएंगे 10 जगह का चक्कर लगाना पड़ेगा तब जाकर जांच होगी. रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट का तो इतना बुरा हाल है कि डॉक्टर को एक्स-रे बाहर से लिखना पड़ता है कारण यहां का एक्स-रे इतना खराब होता है कि डॉक्टरो को यह स्पष्ट करने में कठिनाई होती है कि हड्डी कहां पर है हड्डी टूटी है या नहीं, चिकित्सकों की भी यह मजबूरी होती है कि वह स्पष्ट जानकारी के लिए बाहर से मरीज को एक्स-रे करवाने की सलाह दे. चिकित्सकों का व्यवहार तो संतोषजनक है लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही से मरीजों को बहुत बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है कभी-कभार ऐसा भी होता है की कागजी खानापूर्ति में मरीज की जान तक चली जाती है लेकिन कर्मचारियों का क्या उनको तो सिर्फ अपने वेतन से मतलब है. यह वही कैली हॉस्पिटल है जहां पर 1 सितंबर 2021 को लिफ्ट में 24 वर्ष पुराना नर कंकाल मिला था, ऑर्थो डिपार्मेंट के सर्जिकल वार्ड का इतना बुरा हाल है कि बिना मास्क के आप सांस भी नहीं ले सकते साफ सफाई के नाम पर कुछ भी नहीं सिर्फ चारों तरफ बदबू ही बदबू है. अब प्रश्न यह खड़ा होता है आम जनता के कर से एकत्र रुपए का सरकार सही रूप से उपयोग नहीं करती या फिर सरकार जानबूझकर अस्पतालों की तरफ ध्यान नहीं देती या कर्मचारी अपनी लापरवाही के चलते मरीजों के आफत का सबब बने हुए हैं.