कर्नाटका हाईकोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया है की सोशल मीडिया यूज़ करने के लिए सही उम्र का निर्धारण आवश्यक है. माननीय कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा की जैसे शराब पीने की कानूनी उम्र निर्धारित की गई है ठीक उसी तरह सोशल मीडिया को यूज़ करने के लिए भी उम्र सीमा निर्धारित की जाये. आज के स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो रहे हैं. माननीय न्यायाल की इस टिप्पणी के पश्चात् सोशल मीडिया को लेकर एक नई चर्चा ने जन्म ले लिया है, हालाँकि विगत कुछ वर्षो में सोशल मीडिया के विरोध में कई बातें भी लगातार कई संगठनों और बुद्धजीवियों द्वारा उठाई जा रही है. कुछ मुद्दों पर सरकार भी सोशल साइट्स से नाराज रही है. अभी तक के सोशल मीडिया के व्यवहार और इतिहास के अनुभव से यह जरुर कहाँ जा सकता है की “जो चीजें फ्री है वही हमें गुलाम बनाती है”. पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले कुछ सोशल मीडिया के बारें में भी जानना आवश्यक है.
दुनिया भर में सोशल मीडिया के तकरीबन 100 छोटे – बड़े प्लेटफार्म मौजूद है जिन्हें यूज़ करने वालों की मौजूदा संख्या 490 करोड़ है जबकि विश्व की कुल आबादी 801 करोड़ के करीब है. वैश्विकस्तर की 60.49% आबादी सोशल मीडिया यूज़ करती है. सोशल मीडिया यूज़ करने वालों की संख्या वैश्विक स्तर पर वर्ष 2027 तक 585 करोड़ होना अनुमानित है. तीन में से एक व्यक्ति अभी सोशल मीडिया यूज़ कर रहा है. दुनियां में सबसे अधिक सोशल मीडिया के रूप में प्रयोग फेसबुक का किया जाता है जिसके करीब 303 करोड़ यूजर है. सोशल मीडिया को यूज़ करने में प्रथम स्थान पर चीन (102 करोड़ यूजर), दुसरें स्थान पर भारत (75.50 करोड़) और तीसरे स्थान पर यूनाइटेड स्टैट्स ऑफ़ अमेरिका (30.20 करोड़) है. एक व्यक्ति औसतन 2.35 घंटे सोशल मीडिया प्रतिदिन यूज़ करता है. यदि हम टॉप 5 सोशल मीडिया प्लेटफार्म की बात करें तो फेसबुक, व्हाट्सएप्प, यूटुब, इन्स्टाग्राम और वीचैट है. भारत में औसतन एक व्यक्ति 11 सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूज़ करता है. वर्ष 2027 तक भारत में सोशल मीडिया यूज़ करने वालों की अनुमानित संख्या 117.75 करोड़ होगी. वर्तमान में भारत में सोशल मीडिया पहुँच दर 33.4% है. दुनियांभर में सोशल मीडिया पर वर्तमान वर्ष में विज्ञापन बाजार $226 बिलियन संभावित है और यह वर्ष 2027 तक $384.90 बिलियन होगा. यदि हम सोशल प्लेटफार्म की बात करें तो फेसबुक, व्हाट्सएप्प, इन्स्टाग्राम और यूटुब के दुनियाभर में सबसे अधिक यूजर भारत के है. सोशल मीडिया को संचालित करने वाली शक्तियां अत्यधिक मजबूत है जो किसी बड़े बदलाव को आसानी से स्वीकार नहीं करती.
सोशल मीडिया जहां एक तरफ व्यवसायिक रूप से अपनी मजबूत स्थिति विश्वभर में बनाया हुआ है वही कुछ ताकतें ऐसी है जो चाहती है की सभी लोग सोशल प्लेटफार्म पर बिजी रहें जिससे उन्हें लाभ हो सकें. सोशल मीडिया का अधिक उपयोग बच्चों की मानसिक स्थिति पर अत्यधिक बुरा प्रभाव डालता है. बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. बच्चों की इसकी लत लग रही है. बच्चों का निजी डेटा लीक हो रहा है. सोशल मीडिया बच्चों में तनाव और अवसाद को तेजी से जन्म दे रही है. आपसी तुलना की भावना तेजी से बढ़ रही है. आपसी सम्बन्धो में भी इसकी वजह से अब दूरी बढ़ रही है. बच्चों में नींद न आने की समस्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. बच्चों में मानसिक दबाव भी देखने को मिल रहा है. साइबरबुलिंग हो रही है. सोशल मीडिया का अधिक उपयोग करने की वजह से सहानुभूति की कमी भी दिख रही है. अब पारिवारिक समय लगभग न के बराबर रह गया है. फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैलाना अब रोजाना देखने को मिल रहा है. उम्र के हिसाब से प्रतिबंधित सामग्री भी अब आसानी से उपलब्ध हो पा रही है जिसका दुष्परिणाम सामने आ रहा है. बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. बच्चों में अकेलेपन को भी सोशल मीडिया जन्म दे रहा है.
भारत ही नहीं बल्कि दुनियांभर में कुल सोशल मीडिया यूज़ करने वालों की संख्या में 21 वर्ष से कम उम्र की वास्तविक संख्या कितनी है इसका कोई अधिकारिक डेटा अभी उपलब्ध नहीं है. जबकि भारत में कोरोनाकाल से ही स्टडी के नाम पर मासूम बच्चें सोशल मीडिया साईट पर तेजी से आकर्षित हुए है और अब यह आम बात दिखाई पड़ती है की किसी नाबालिग का सोशल मीडिया अकाउंट हो और जिनका नहीं भी है वह पेरेंट्स के अकाउंट से मौजूद है. कुछ स्टडी के नाम पर तो कुछ जानकारी के नाम पर इससे जुड़े हुए है जबकि यह जमीनी सच्चाई है की सोशल मीडिया आपके लिए तभी सहायक हो सकता है जबकि आप में किसी जानकारी को स्वयं में जज करने की क्षमता हो अन्यथा की स्थिति में अनेकों ऐसे कंटेंट उपलब्ध है जो सीधे तौर पर बच्चों के जीवन पर अमिट नकारात्मक प्रभाव डालतें है. ऐसे में यह आसानी से कहा जा सकता है की सोशल मीडिया साइट्स का उपयोग करने की उम्र सीमा सरकार द्वारा न्यूनतम 21 वर्ष किया जाना वर्तमान परिवेश में अनिवार्य दिखाई पड़ता है. माननीय कर्नाटका हाईकोर्ट की टिप्पणी सीधेतौर पर देश के प्रत्येक आदमी के भविष्य से जुड़ा हुआ है ऐसे में सरकार को अविलम्ब इस पर निर्णय लेकर बच्चों के भविष्य की रक्षा करनी चाहिए. सोशल साइट्स भी विभिन्न तकनीकी चेक्स लगाकर 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का सोशल मीडिया प्रयोग वर्जित कर सकती है. किसी भी देश की तरक्की तभी संभव है जबकि वहां के युवा मजबूत हो ऐसे में युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए नियम बनाने के साथ-साथ अनिवार्य पालन कराया जाना भी एक बड़ा बदलाव ला सकता है.