नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने एकल अविवाहित महिलाओं को सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा करने से रोकने वाले सरोगेसी कानून के प्रावधान को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ किरपाल और केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया.
श्री किरपाल ने पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा कि मौजूदा सरोगेसी कानून में बड़े पैमाने पर खामियां हैं. इनकी वजह से अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और संविधान की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है.
याचिका में कहा गया है कि यह प्रावधान (सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा करने से रोकने वाला) याचिकाकर्ता के प्रजनन के अधिकार, सार्थक पारिवारिक जीवन के अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. ये सभी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों के पहलू हैं.
सुश्री भाटी ने दलील दी कि एकल अविवाहित महिलाओं द्वारा सरोगेसी का विकल्प चुनने का मुद्दा एक बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है. इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा कि इसमें एक बड़ा संवैधानिक प्रश्न शामिल होने के कारण विचार किया जाना चाहिए. इसके बाद पीठ ने नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया.