ग्रामीणों की मांग निष्पक्ष हो उचित दर विक्रेता “कोटे” का चयन, राजनीतिक दबाव बन रहा रोड़ा।

बस्ती, उत्तर प्रदेश:- कुर्दा ग्राम पंचायत में उचित दर विक्रेता ‘कोटे’ का चयन नासूर बन गया है, छ: बार बैठक करने के बाद भी अधिकारी व कर्मचारीगण किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रहे हैं कारण मात्र बस इतना है कि राजनीतिक रसूख रखने वाले कुछ व्यक्ति अपने चहेते को कोटेदार के रूप में देखना चाहते हैं, मामला विकासखंड गौर के कुर्दा ग्राम पंचायत का है जहां पर कोटे के चयन को लेकर छठवीं बार दिनांक – 01 मार्च 2024 को ग्राम पंचायत कुर्दा में उचित दर विक्रेता की दुकान के लिए बैठक की गई. ग्राम पंचायत के बैठक में सचिव कृष्णानंद शाह, एडीओं आईएसबी महेन्द्र सिंह, नायब तहसीलदार अजीत सिंह, बीएमओं अखिलेश उपस्थित रहे. वर्तमान प्रधान विमला देवी ने 05 मार्च को जिलाधिकारी से ग्राम पंचायत में हो रहे कोटे के चयन में धांधली को लेकर शिकायत किया. अधिकारियों व कर्मचारियों के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना ग्राम प्रधान की उपस्थिति के ही बैठक संपन्न कर लिया गया बैठक में कार्यवाही रजिस्टर पर बिना दस्तक के फर्जी तरीके से ब्लॉक पर पहुंचकर प्रधान के हस्ताक्षर व मोहर फर्जी तरीके से लगाए गए व ग्राम वासियों को बिना बताए धोखे से हस्ताक्षर व अंगूठा लगवा कर नियुक्त प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया. आगे ग्राम प्रधान ने बताया कि बैठक के 1 दिन बाद हमें इस बात की नोटिस भी दी जाती है कि आप बैठक में उपस्थित नहीं रहती जबकि हमारे आने से पूर्व ही यह सब कार्य संपन्न करवा लिया गया था. बिना ग्राम पंचायत के लोगों के पूर्व सूचना के ही सारी प्रक्रियाएं पूर्ण की गई. विदित हो की 2 मार्च 2024 को तहसील समाधान दिवस में ग्राम पंचायत की कई महिलाओं ने हर्रैया उप जिलाधिकारी से इसकी शिकायत भी की और आरोप लगाया कि सचिव कृष्णानंद शाह समेत अन्य किसी उपस्थित अधिकारी द्वारा उचित दर विक्रेता की दुकान के लिए एजेंडा नही पढ़कर बैठक में सुनाया गया और न ही उचित दर विक्रेता की दुकान के चयन के बारे में कोई जानकारी ग्रामीणों को दिया गया. जबरन ग्रामीणों से कार्यवाही रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवा लिया. जब तक ग्रामीण हस्ताक्षर के बारे में जानकारी प्राप्त करते तब तक सचिव समेत अन्य अधिकारी कार्यवाही रजिस्टर लेकर फरार हो गए. उधर खंड विकास अधिकारी का कहना है कि चयन प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है ग्राम पंचायत के लोग झूठा आरोप लगा रहे हैं, सूत्रों के द्वारा पता चला कि ग्राम पंचायत में कोटे का चयन मनमाने तरीके से अधिकारी और कर्मचारी केवल एक व्यक्ति का चयन राजनीतिक दबाव के कारण करना चाहते हैं जबकि ग्राम पंचायत की जनता निष्पक्ष कोटे का चुनाव चाहती है लोगों में यह भी चर्चाएं है कि बैठक में गलत तरीके से हो रहे चुनाव प्रक्रिया के कारण नायब तहसीलदार हर्रैया चुनाव प्रक्रिया बीच में ही छोड़कर चले गए थे. अब देखना यह है की एक तरफ ग्राम पंचायत की पूरी जनता कोटा चयन प्रक्रिया निष्पक्ष करवाना चाहती है वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दबाव के कारण क्या प्रशासन निष्पक्ष तरीके से चयन प्रक्रिया पूर्ण कर पाती है या नहीं.