जौनपुर. केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर कांग्रेस का रुख से असहमत होने के बाद महाराष्ट्र में तीन बार विधायक और एक बार एमएलसी रह चुके कृपाशंकर सिंह कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, पार्टी के प्रति उनकी ईमानदारी व लोकप्रियता को देखते हुई भाजपा ने उन्हें ईनाम के रूप में उनके जन्म स्थान जौनपुर से उम्मीदवार बनाया है. कृपाशंकर सिंह 1999 में विलासराव देशमुख सरकार में महाराष्ट्र के गृहराज्यमंत्री थे.
भाजपा ने उत्तर प्रदेश के लिए लोकसभा चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची कल जारी की है, इनमें से कई सीटों पर प्रत्याशियों को रिपीट भी किया गया है. वहीं, जौनपुर सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है, कृपाशंकर सिंह 2021 में भाजपा में शामिल हुए थे, इसके पहले वह कांग्रेस में थे, वह मूल रूप से जौनपुर जिले के सहोदरपुर गांव के रहने वाले हैं और राजपूत समाज से आते हैं, वर्तमान में मुंबई में रहते हैं.
कृपाशंकर सिंह ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को लेकर संप्रग की नीति का विरोध करते हुए कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था. वह 1999 में महाराष्ट्र में गृह राज्यमंत्री बनाए गए थे, उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, वह मुंबई के सांताक्रुज क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2008 से 2012 के बीच वह मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. कांग्रेस छोड़ने के दो साल बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. बीजेपी ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी दी थी, बीजेपी ने उन्हें गुजरात के 10 जिलों का प्रभारी बनाया था, इसके अलावा बीजेपी ने महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया था.
कृपाशंकर सिंह के सियासी कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना किसी पदभार के भी, उनके घर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस का आना-जाना रहा. कृपाशंकर सिंह जहां एक तरफ ठेठ यूपी के अंदाज में उत्तर भारतीयों से मिलते-जुलते हैं, वहीं दूसरी ओर वे फर्राटेदार मराठी भी बोलते हैं. मुंबई में उत्तर भारतीयों को कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता था और जौनपुर का हवाला देते हुए कृपाशंकर सिंह उसी वोटबैंक में कांग्रेस के स्तंभ रहे.
जौनपुर लोकसभा से टिकट मांगने वालों में पूर्व सांसद डॉक्टर के पी सिंह, पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह, पूर्व आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह, व्यवसाय मनीष नारायण चौरसिया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शतरुद्र प्रकाश, अजय सिंह, सूर्य प्रकाश सिंह मुन्ना के साथ ही लगभग एक दर्जन से अधिक और लोग भी शामिल रहे.
इन सब में सबसे प्रमुख समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह जी रहे , जिन्होंने भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण के लिए एक करोड़ 21 लाख 11 हजार 111 रुपए का दान भी दिया था, साथ ही साथ चार-पांच माह पूर्व जौनपुर नगर में सात दिवसीय श्री रामचरितमानस का का पाठ कथा वाचक शांतनु महाराज के द्वारा संपन्न कराया गया कराया था, जिसमें भी लगभग एक करोड रुपए खर्च हुआ था, इसके साथ ही उन्होंने जौनपुर में और भी कार्यों में अपना धन खर्च किया था.