- पूर्वांचल में प्रधानमंत्री मोदी के सियासी हमलों से गरमाई राजनीति
- यूपी में तृणमूल चुनाव नहीं लड़ सकती तो केरल में भाजपा क्यों : ललितेशपति
भदोही. पूर्वांचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार एक साथ कई चुनावी सभाएं कर सियासी फ़िजा में गरमाहट ला दिया है. मौसम के साथ चुनावी बयानों की तल्खी से सियासत गर्म होने लगी है. तृणमूल कांग्रेस और मामता दीदी पर मोदी के हमले के बाद भाजपा और तृणमूल में सियासी जंग तेज हो गईं है.
भदोही के ऊंज में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने तृणमूल की मुखिया ममता पर सीधा हमला बोला था. जिसके बाद अब टीएमसी उम्मीदवार ललितेशपति त्रिपाठी ने मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि टीएमसी भदोही में आकर चुनाव क्यों नहीं लड़ सकती है. संविधान में सभी को पूरी समानता है. कोई भी दल और व्यक्ति पूरे देश में चुनाव लड़ने को स्वतंत्रत है. अगर ऐसा है तो भाजपा केरल से क्यों चुनाव लड़ रही है. पश्चिम बंगाल में दलित महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं प्रधानमंत्री मोदी को पश्चिम बंगाल के बजाय त्रिपुरा की चिंता करनी चाहिए वहां महिलाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधा हमाला बोलते हुए कहा था कि ममता बंगाल में हिन्दुओं की हत्या करवाती हैं. उनके लोग हिन्दुओं को गंगा में डूबोकर मारने की धमकी देते हैं. दीदी बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती हैं. अब वहीं हाल उत्तर प्रदेश का करना चाहती हैं. अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि कि यूपी वाली बुआ बबुआ की चाल समझ गई ऐसी हालत में उन्हें पश्चिम बंगाल से नई बुआ को लाना पड़ा. बबुआ को अपनी नई बुआ से यह सवाल करना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों कों के गालियां देकर क्यों भगा दिया जाता है.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी कैसी राजनीति कर रही है क्या आप लोग उससे परिचित नहीं है. वहां हिंदुओं की कैसी दशा है पूरा देश जानता है. मोदी ने मामता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हिन्दुओं की हत्या की जा रही है. रामनवमी पर प्रतिबंध लगाया गया. राम मंदिर को अपवित्र बताया गया है. जबकि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों को खुलेआम संरक्षण दिया जा रहा है. यह सब वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति है. आप लोग ऐसी राजनीति से तौबा करना.
प्रधानमंत्री मोदी के इस हमले के बाद तृणमूल उम्मीदवार और एवं पूर्व मुख्यमंत्री रहे पंडित कमलापति त्रिपाठी के परपोते ललितेशपति त्रिपाठी ने पलटवार करते हुए कहा है कि भदोही के विकास पर प्रधानमंत्री को कुछ बोलना चाहिए था लेकिन उन्होंने मौन साध लिया. विकास के बजाय उन्होंने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बात रखी. जबकि भदोही के विकास के लिए कुछ नहीं किया गया. भदोही में 10 साल के विकास के लिए प्रधानमंत्री के पास कोई उपलब्धि नहीं दिखी. कालीन उद्योग जीएसटी से बदहाल है. भदोही में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. गंगा कटान और सेतु निर्माण पर कुछ नहीं बोला. यहाँ रामपुर, धनतुलसी, कोनिया और टेला में गंगा पर सेतु जरुरी है. काशी नरेश को विश्वविद्यालय नहीं बनाया गया.
भदोही में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. औराई चीनी मिल जहां बंद पड़ी है वहीं ज्ञानपुर पंप कैनाल की हालत किसानों से पूछिए. बेरोजगारी चरम पर. भदोही के विकास के लिए कोई स्पेशल पैकेज नहीं है. जबकि भदोही का कालीन उद्योग 7000 करोड़ सालाना सरकार को राजस्व देता है. भाजपा सिर्फ बातें करती है काम नहीं करती. इस तरह तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग तेज हो गई है आने वाले वक्त में कौन किस पर भारी पड़ता है यह समय बताएगा.