प्रभुनाथ शुक्ल..
देश का आम चुनाव परिवर्तन की राजनीति का संदेश है. इस चुनाव को जनता ने अपने मुद्दों के साथ लड़ा है. वह धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा जैसी पार्टी को नया संदेश दिया है. सरकार कोई भी बनाए या सत्ता किसी के हाथ में हो, लेकिन अब आम लोगों के हित की बात होनी चाहिए. जनता ने धर्म और जाति के खिलाफ जनादेश दिया है. देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी बहुमत का आंकड़ा अकेले बल पर नहीं छू पाई. मोदी की करिश्माई राजनीति का जादू अब खत्म होता दिख रहा है. वाराणसी में साल 2014 और 2019 में जीत के अंतराल का जो गणित था वह इस बार कायम नहीं रहा. राहुल गाँधी उनसे अधिक मतों से जीत हासिल किया. वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव भले जीत गए , लेकिन यह जीत इतनी बेहतर और शानदार नहीं कहीं जा सकती. नैतिक रूप से इण्डिया गठबंधन के उम्मीदवार अजय राय मोदी के सामने हारकर भी जीते हैं.
हिंदुत्व की उग्र राजनीति का उत्तर प्रदेश से सफाया हो गया है. दो लड़कों की जोड़ी ने यहाँ कमाल कर दिखाया है. भाजपा को उत्तर प्रदेश से सबसे बड़ी उम्मीद थी, लेकिन राहुल गाँधी और अखिलेश यादव ने उस उम्मीद को तोड़ दिया है. इस जोड़ी ने जो काम साल 2019 में नहीं कर पाया उसे 2024 में अंजाम तक पहुंचा दिया. मोदी और योगी का जादू नहीं चल पाया है. यहाँ की जनता ने हिंदुत्व की राजनीति को सिरे से नकार दिया है यह अपने आप में यह बड़ा संदेश है. संविधान, आरक्षण और बेरोजगारी की जंग ने धर्म की राजनीति को बड़ा संदेश दिया है. उत्तर प्रदेश के युवाओं ने राहुल गाँधी के रोजगार के मुद्दे को दिल से लिया और दो लड़कों की जोड़ी पर भरोसा जताया. सबसे बड़ा संदेश अयोध्या ने दिया है फ़ैजाबाद सीट ने उसे आइना दिखाया है. ओबीसी और दलित और मुस्लिम वोट ने कमाल कर दिखाया है. ओबीसी वोट भाजपा के हाथ से फिसल गया. यह भाजपा के लिए चुनौती है.
पूर्वांचल में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. भाजपा -राजभर की जोड़ी कुछ नहीं कर पाई. अगर बहुजन समाज पार्टी खुद को ‘सेफ पॉलटिक्स’ की राजनीति से अलग रहते हुए इंडिया गठबंधन का हिस्सा होती तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की जमीन खत्म हो गई होती और बसपा का नया जीवन मिल जाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा संदेश है. इस जनादेश से साबित हो गया है कि अब राजनीति दूसरी तरफ मुड़ रहीं है.
अगर भारतीय जनता पार्टी एनडीए गठबंधन के साथ सरकार बनाएगी लेकिन सरकार का भविष्य क्या होगा कहना मुश्किल है. भाजपा अब तक जो खुला खेल-खेल रही थी वह नहीं खेल पाएगी. उसकी उम्मीद पर पानी फिर गया है. वह खुद बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई. कहा जाता है उत्तर प्रदेश दिल्ली की राजनीति का रास्ता तय करता है उत्तर प्रदेश में ही भाजपा को आइना दिखा दिया. इसके पीछे खुद भाजपा संगठन की आंतरिक राजनीति रही है.
2024 का जनादेश कांग्रेस के लिए नया संदेश लेकर आई है. राहुल गांधी के विजन को कटघरे में खड़ा करने वाली भाजपा खुद कटघरे में खड़ी है. अब तक जितनी आक्रामकता से साल 2014 और 2019 में बहुमत पाकर सरकार चलती रही है हाल में वैसा कुछ नहीं कर पाएगी. सरकार वह भले बना ले, लेकिन कुछ ख़ास नहीं कर पाएगी. क्योंकि संसद में विपक्ष की अच्छी खासी तादाद होगी. भाजपा तमाम ऐसे बिल लाना चाहेगी लेकिन अब डगर मुश्किल हो गईं है. क्योंकि अब बीजेपी को गठबंधन धर्म भी निभाना पड़ेगा.
भाजपा ने उड़ीसा और आंध्र में भले अच्छा खासा प्रदर्शन किया, लेकिन उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य उसके हाथ से निकल गया. उसका सियासी खेल बिगाड़ दिया है. पश्चिम बंगाल में जिस तरह ममता बनर्जी के खिलाफ हिंदुत्व को लेकर उग्र राजनीति की गई उसका परिणाम सामने है. भाजपा ममता बनर्जी पर जितनी तीखी और हमलावर हुई बंगाल में ममता की जमीन उतनी ही मजबूत हुई.फिलहाल यह चुनाव आम जनता ने लड़ा है अपने अधिकारों को लेकर लड़ा है. उसने बेरोजगारी, महंगाई और आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर मतदान किया.
भाजपा मोदी के चेहरे पर ही रह गईं. फिलहाल जिस अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ और जो हिंदी पट्टी हिंदुत्व का गढ़ कही जाती है. भाजपा को विपक्ष ने पटकनी दिया. राहुल गाँधी एक नए अवतार में उभरी है. फिलहाल जनादेश पूरी तरह सम्मान किया जाना चाहिए. सरकार एनडीए बनाए या इंडिया उसमें आम आदमी के हितों का पूरी तरह ख्याल रखना चाहिए. बढ़ती महंगाई बेरोजगारी और आम आदमी के अधिकार की बात होनी चाहिए. यह भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ा संदेश है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनावी विश्लेषक हैं)