दलित महिला से हैवानियत, बिहार सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार का नोटिस

नयी दिल्ली. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कर्ज का ब्याज नहीं चुकाने पर एक दलित महिला के साथ कथित मारपीट और उसके कपड़े उतरवाने के मामले में मंगलवार को बिहार के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया. आयोग ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति, पीड़ित महिला की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति और उसे दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, भी शामिल होना चाहिए.
आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उसने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है, रिपोर्ट के अनुसार 23 सितंबर, 2023 को पटना के मोसिमपुर गांव में अनुसूचित जाति की एक 30 वर्षीय महिला के साथ क्रूरतापूर्वक मारपीट की गई, उसके कपड़े उतरवा दिए गए और उसके ऊपर पेशाब किया गया. कथित तौर पर ऋण पर अतिरिक्त ब्याज, 1,500/- रुपये की राशि, जो उसने एक स्थानीय व्यक्ति से उधार लिया था, न चुकाने के परिणामस्वरूप उसे यातना दी गयी और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया .
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सच है, तो यह पीड़ित महिला के मानव अधिकारों का उल्लंघन है. रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि अपराधियों ने बिना किसी कानूनी डर के इस कृत्य को अंजाम दिया, जो चिंता का विषय है. तदनुसार, आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति, पीड़ित महिला की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति और उसे दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, भी शामिल होना चाहिए. पीड़िता, जो अनुसूचित जाति समुदाय से है, एससी/एसटी (पीओए) अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के प्रावधान के अनुसार मुआवजे के लिए भी पात्र है. अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे रिपोर्ट में पीड़िता को दिए जाने वाले मुआवजे की स्थिति के बारे में बताएं. पीड़िता सदमे से गुज़री है, इसलिए राज्य सरकार से यह भी अपेक्षित है कि वह बताए कि क्या उसे कोई परामर्श प्रदान किया गया है.
25 सितंबर, 2023 की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने घटना से चार दिन पहले पीड़िता से संपर्क किया था और उस पर ब्याज के रूप में अतिरिक्त राशि चुकाने के लिए दबाव डाला था और पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस में की थी. कथित तौर पर आरोपी एक प्रभावशाली जाति से हैं, जबकि गांव में अनुसूचित जाति के कुछ ही परिवार रहते हैं, जिन्होंने कहा है कि वे डरे हुए हैं और कुछ दिनों के लिए जगह छोड़ने की सोच रहे हैं.