- रामलीला हमारे हिंदुत्व एवं सांस्कृति जीवन का है आदर्श
- बदलते दौर में युवापीढ़ी अपनी संस्कृति और संस्कार को भूल रही है
भदोही. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हमारे आदर्श हैं. हमें अपने जीवन में प्रभु श्रीराम का संस्कार उतारना चाहिए. रामलीला सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है यह हमारे हिंदुत्व की और मर्यादित जीवन का मूल मंत्र है. बदलते परिवेश में हम पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन रामलीला के जरिए एक आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं.
भदोही जनपद के हरीपुर, अभिया गांव में आदर्श रामलीला समिति की तरफ से आयोजित सात दिवसीय रामलीला मंचन के तीसरे दिन ‘रामवन गमन एवं केवट संवाद’ का मंचन किया गया. इस दौरान भदोही जनपद के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं सुरियावां नगर पंचयात के अध्यक्ष विनय चौरसिया ने अपनी बात रखते हुए. कहा कि जनपद भदोही में हरीपुर की रामलीला एक अलग स्थान रखती है. रामलीला में अभिनय करने वाले सभी गांव के ही युवा हैं. भगवान राम के चरित्र को अपनाकर हम एक आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं. रामलीला हमें पारिवारिक जीवन जीना सिखाती है.
इस दौरान विनय चौरसिया ने कहा कि बदलते दौर में युवापीढ़ी अपनी संस्कृति और संस्कार को भूल रही है. इस तरह के पारंपरिक और सांस्कृतिक आयोजनों से युवा दूर होते जा रहे हैं. हमें अपनी संस्कृति और संस्कार को नहीं भूलना चाहिए. रामलीला हमें एक आदर्श पारिवारिक जीवन की सीख देती है. चौरसिया का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया. उनके साथ अधिवक्ता नंदलाल शुक्ला, विजय वर्मा और अन्य लोग उपस्थित थे. दशरथ-मंथरा, दशरथ-कैकेई, उर्मिला-लक्ष्मण एवं प्रभु श्रीराम -केवट संवाद ने दर्शकों का मनमोह लिया. आदर्श रामलीला समिति हरीपुर की रामलीला 100 सालों से मंचित हो रही है. 04 नवंबर को भरत मिलाप मेले के साथ सात दिवसी मंचन का समापन होगा.