दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति असंवैधानिकः आप

नयी दिल्ली. दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी ने गुरूवार को कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की ओर से दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन के रूप में जस्टिस (रिटायर्ड) उमेश कुमार की नियुक्ति पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है.
सुश्री आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली की जनता ने तीन बार भाजपा को नकारते हुए अरविन्द केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री चुना, इसका बदला लेते हुए भाजपा दिल्ली के लोगों को 24 घंटे और फ्री मिल रही बिजली रोकना चाहती है. असंवैधानिक और गैर-क़ानूनी रूप से डीईआरसी के चेयरमैन की नियुक्ति इसकी शुरुआत है.
उन्होंने कहा कि संविधान में बिजली एक हस्तांतरित विषय है और केंद्र सरकार बिजली से संबंधित सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सिफारिशों पर काम करने के लिए बाध्य है लेकिन 21 जून को केजरीवाल सरकार ने जस्टिस संगीत लोढ़ा को डीईआरसी चेयरमैन नियुक्त करने की सिफारिश भेजी तो केंद्र सरकार ने षड्यंत्र रचते हुए चुनी हुई सरकार के फैसले को पलट दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में एक बार फिर लोकतंत्र की हत्या की है. कल रात के अँधेरे में केंद्र सरकार ने राजपत्र निकालते हुए दिल्ली की चुनी हुई सरकार के सिफारिश के खिलाफ जाते हुए दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन की नियुक्ति की. उन्होंने कहा कि डीईआरसी के चेयरमैन की यह नियुक्ति न केवल गैरकानूनी और गैर-संवैधानिक है बल्कि दिल्ली के लोगों के खिलाफ किया हुआ एक फैसला है.
बिजली मंत्री ने कहा कि अगर हम देश भर के पॉवर टैरिफ की तुलना करे तो दिल्ली में बिजली की कीमत सबसे कम है. उन्होंने कहा कि, दिल्ली में बिना सब्सिडी एक सामान्य परिवार को 4.50 रूपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है. वही भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों की बात करे तो असम में आम परिवार 300 यूनिट बिजली लेने वाले परिवारों को प्रति यूनिट 8.20 रूपये में बिजली मिलती है , उत्तरप्रदेश में 6.50 रूपये प्रति यूनिट मिलती है , मध्य प्रदेश में 6.70 पैसे प्रति यूनिट बिजली मिलती है और महाराष्ट्र में 10 रूपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है.

दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति असंवैधानिकः आप