चम्पत राय ने समझाया श्रीराम मंदिर निर्माण का वैज्ञानिक आधार

अयोध्या. ‘अयोध्या उत्सव’ में पधारे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय श्रीराम मंदिर निर्माण का वैज्ञानिक आधार समझा गये. उन्होंने इसके निर्माण में रखी जाने वाली एक-एक सावधानियों को बड़ी ही बारीकी से रखा. श्री चम्पत राय ने रविवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि यह राष्ट्र का और राष्ट्र के सम्मान का मंदिर है. यह हर भारतीय के सहयोग का प्रतिफल है. इसके निर्माण में सबकी समान हिस्सेदारी है. इसके निर्माण में बहुत सावधानियां रखी गयीं हैं. मंदिर के बेस की जमीन को मजबूती दी गयी है. इसको आर्टिफिशियल रॉक नाम दिया गया है. मंदिर में 21 लाख क्यूबिक पत्थर लगाए जा रहे हैं. इसके निर्माण शिल्प में इसकी आयु का आकलन किया गया है. बहुत ही कम मात्रा में लोहे का उपयोग हुआ है. लोहा पड़ने से इसकी आयु 100 साल कम हो जाती. इसमें प्लेन कंक्रीट है. कंक्रीट पड़ने से इसकी आयु 150 साल से अधिक नहीं हो सकती. जमीन के ऊपर भी कंक्रीट नहीं है. जमीन के ऊपर यदि एक इंच भी कंक्रीट आ गई तो 150 साल के बाद वह कंक्रीट कमजोर हो जाएगी. जमीन के नीचे लोहे का तार भी नहीं हैं. नीचे थोड़ा बहुत कंक्रीट है भी, तो रोलर कंपैक्टेड है. यह दो-चार फीट नहीं बल्कि 14 मीटर है. आर्टिफिशियल रॉक के अंदर सीमेंट भी नहीं है. जहां उपयोग हुआ है वहां सीमेंट की मात्रा बहुत कम है. कहीं-कहीं 02 से 02.50 प्रतिशत का उपयोग हुआ है. पानी न के बराबर है. रोलर कॉम्पेक्शन डेंसिटी मेजरमेंट 98 प्रतिशत डेंसिटी होने के बाद सेकंड लेयर और थर्ड लेयर है. इस प्रकार 14 मीटर इतनी गहराई तक एक रॉक डाली गई है. इस प्रकार जमीन को मजबूती दी गयी है. वजह, जमीन में मिट्टी नहीं थी बालू थी. बालू में कोई नया बेस नहीं तैयार हो सकता था.
इस अवसर पर अयोध्या के महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि भगवान राम के चरित्र प्रभाव की व्यापकता की चर्चा करना असंभव है. केवल सरयू तट के किनारे जाने से ही भगवान की प्राप्ति हो जाती है. श्रीराम सभी समस्याओं का समाधान हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी वांग्मय में भगवान राम की महत्ता बहुत ही विस्तृत है. संक्षेप में कह पाना कठिन है, लेकिन इनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि उसका एक-एक अक्षर ही महापाप को नाश करने में सक्षम है. उनके चरित्र का एक भी शब्द और अक्षर मनोभावों के तमाम पापों को नष्ट करने में सक्षम और समर्थ है.
उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त नरेंद्र श्रीवास्तव ने ‘अयोध्या उत्सव’ को संबोधित करते हुए कहा कि रामचंद्र जी के बारे में कुछ कहने-बोलने से बेहतर है कि उनके संदेश को अपने अंदर भी उतारने की कोशिश की जाए. भरत जी महान हैं, जैसे आज एक-एक इंच जमीन के लिए भाई-भाई लड़ रहे हैं, कत्ल हो जा रहा है, गोलियां चल जा रही हैं, लेकिन भरत जी ने 14 वर्ष तक किस तरह अपनी जिंदगी काटी है यह किसी से छिपा नहीं है. आज वृद्धाश्रमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जबकि सनातन संस्कृति में वृद्धाश्रम का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है.
श्रीमणिराम दास छावनी अयोध्या के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री ने कहा कि आने वाले जनवरी माह में भगवान अपने परिवार के साथ मूल गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे. पूरे विश्व में जहां भी भगवान के भक्त हैं, सभी बड़े ही आनंदित हैं. आनंद की सीमा नहीं है. जिस तरह से लोगों के अंदर उत्साह है, आनंद है, सभी लोग अपने घरों में, मठ-मंदिरों में जो जहां है वहीं आनंद मनाएं और प्रसाद वितरण करें, बहुत अच्छा होगा.
अयोध्या के भारतीय जनता पार्टी के सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि राम नगरी सज रही है, संवर रही है. पांच-10 हजार करोड़ नहीं, बल्कि 32 हजार करोड़ से. इसमें रामलला के मंदिर की लागत अलग है. सरकार का लक्ष्य अयोध्या को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन हब बनाने का है.