बस्ती, उत्तर प्रदेश:- निरंकुश शासन है या प्रशासन? आप बस्ती जिले में आकर यह पता नहीं लगा सकते, बीते दिनों थाना कप्तानगंज अंतर्गत ग्राम भूपालपुर (कच्चीपुर) संदीप विश्वकर्मा पुत्र बाबूलाल विश्वकर्मा की हत्या पानी में डूबो कर तीन युवकों के द्वारा कर दी जाती है, हत्या के 9 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस केवल जांच करने पर लगी है बस्ती पुलिस का कहना है कि जांच सीओ कलवारी को दिया गया है और दूसरी तरफ प्रार्थी बाबूराम प्रार्थना पत्र लेकर कभी थाने पर, कभी एसपी आफिस तो कभी मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र लिख रहे हैं बावजूद उनका एफ आई आर दर्ज नहीं किया जा रहा. जनश्रुतियों के अनुसार इस मामले मे बहुत व्यापक स्तर पर राजनीतिक दबाव पड़ रहा हैं ताकि मामले को दबाकर रफा-दफा कर दिया जाए, किन्हीं राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस भी शायद एफ आई आर दर्ज करने से कन्नी काट रही हो खैर मामला जो कुछ हो वह निष्पक्ष अनुसंधान से ही स्पष्ट होगा, परंतु बस्ती पुलिस द्वारा दिए गए बयान निराधार और निष्प्रभावी लगते हैं जिस तरीके से लापरवाही पुलिस बरत रही है इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है बस्ती पुलिस का यह बयान है की “पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पानी में डूबने के करण मृत्यु का होना पाया गया है, जिसके सम्बन्ध में प्राप्त प्रार्थना-पत्र की जांच क्षेत्राधिकारी कलवारी द्वारा की जा रही है.”
जो गैर जिम्मेदाराना और हतप्रभ कर देने वाला बयान है. वहीं पीड़िता के द्वारा दिया गया प्रार्थना पत्र में भी यह कहा गया है कि संदीप को 3 लोगों के द्वारा डुबोकर ही मारा गया. कायदे का तो होना यह चाहिए था कि पुलिस पहले प्राथमिकी दर्ज करे उसके बाद इस मामले में निष्पक्ष विवेचना करती परंतु ऐसा नहीं हुआ पता नहीं किन कारणों से यह तो शासन और प्रशासन में बैठे लोग ही जाने लेकिन यदि विधि सम्मत देखा जाए तो बिना एफआईआर के जांच करना वह भी हत्या जैसे गंभीर मामलों में प्रासंगिक नहीं लगता.
पीड़ित के आरोप और पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक होने के बावजूद भी बस्ती पुलिस अपराधियों का कर रही बचाव . .