समान नागरिक संहिता देश तथा उसमें निहित राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से एकजुट करेगीः उप राष्ट्रपति धनगड़

नयी दिल्ली/गुवाहाटी. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि समान नागरिक संहिता देश तथा उसमें निहित राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से एकजुट करेगी और इसे लागू करने में किसी भी तरह की और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी. उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि नीति निर्देशक सिद्धांत ‘देश के शासन में मौलिक’ हैं और उन्हें नियमों में बदलना एक कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि पंचायत, सहकारी समितियां और शिक्षा का अधिकार जैसे नीति निर्देशक सिद्धांत पहले ही कानून में बदल चुके हैं, उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू करने का समय है.
भारत की छवि धूमिल करने के कुछ लोगों के प्रयासों की आलोचना करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सही समय है कि भारत-विरोधी कहानी रचने वाले कोरियोग्राफरों को प्रभावी ढंग से अस्वीकार कर दिया जाए.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी विदेशी संस्था को हमारी संप्रभुता और प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. भारत को सबसे पुराना, सबसे बड़ा, सबसे क्रियाशील और जीवंत लोकतंत्र बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा, हम अपने समृद्ध और फलते-फूलते लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों पर चोट नहीं झेल सकते. उन्होंने भ्रष्टाचार को कतई सहन नहीं करने की नीति का जिक्र करते हुए भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा,“भ्रष्टाचार लोकतंत्र विरोधी है, भ्रष्टाचार खराब शासन है, भ्रष्टाचार हमारे विकास को कम करता है… भ्रष्टाचार मुक्त समाज आपके विकास की सबसे सुरक्षित गारंटी है.”
श्री धनखड़ ने इस बात को भी गलत बताया कि कुछ लोग भ्रष्टाचार करते पकड़े जाने पर कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेने के बजाय सड़कों पर उतर आते हैं. उपराष्ट्रपति ने छात्रों से भारतीय होने और इसकी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करने के लिए भी कहा. उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि विद्यार्थी आर्थिक राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध हों और राष्ट्र तथा राष्ट्रवाद की कीमत पर आर्थिक लाभ लेने से बचें. उन्होंने छात्रों को दूरदर्शी व्यक्तित्व डॉ. बी. आर. अंबेडकर के बहुमूल्य शब्दों को भी याद दिलाया-“आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंत में भारतीय होना चाहिए और भारतीयों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं.”
श्री धनखड़ ने अपने दीक्षांत भाषण में विद्यार्थियों का ध्यान सहिष्णु होने की आवश्यकता की ओर भी आकर्षित किया. उपराष्ट्रपति इससे पहले दिन में श्रीमती सुदेश धनखड़ के साथ गुवाहाटी में प्रसिद्ध मां कामाख्या मंदिर गए और पूजा-अर्चना की. बाद में उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी के विद्यार्थियों के साथ बातचीत की.
इस अवसर पर असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा, आईआईटी गुवाहाटी के संचालन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राजीव मोदी, आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर परमेश्वर के. अय्यर, वरिष्ठ निकाय सदस्य, विद्यार्थी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.

समान नागरिक संहिता देश तथा उसमें निहित राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से एकजुट करेगीः उप राष्ट्रपति धनगड़