इंडिया बनाम भारत विवाद पर बोली बसपा सुप्राीमो मायावती, कहा- पक्ष-विपक्ष की मिली भगत

लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि भारत अर्थात्‌ इण्डिया देश का चिर-परिचित व गरिमा-मय संवैधानिक नाम है तथा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के इस पवित्र, मानवतावादी व जनकल्याणकारी संविधान से अपने देश के सभी जाति एवं धर्मों के मानने वाले लोगों का अपार प्रेम, बेहद लगाव एवं सम्मान है जिसे बदलकर व छेड़छाड़ आदि करके इनकी भावना के साथ कोई भी खिलवाड़ करना क्या यह उचित व न्यायसंगत है? जबकि इस मामले में हमारी पार्टी का यह मानना है कि यह कतई भी उचित व न्यायसंगत नहीं है अर्थात्‌ यह घोर अनुचित है. इतना ही नहीं इस बारे में सच्चाई यह है कि देश के नाम को लेकर अपने संविधान के साथ छेडछाड करने का मौका बीजेपी के एनडीए को यहाँ खुद विपक्ष ने एक सोची-समझी रणनीति व षड़यन्त्र के तहत् अपने गठबन्धन का नाम ‘इण्डिया’ रखकर दिया है या फिर यह कहा जाये कि यह सब कुछ सत्तापक्ष व विपक्ष की अन्दरुनी मिलीभगत से हो रहा है, इसकी भी आशंका है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये वह कम है. यदि यह सब कुछ ऐसा हो रहा है तो इसकी जितनी भी निन्दा की जाय वह कम.
मायावती ने है कि वैसे भी कांग्रेस व बीजेपी द्वारा चुनाव पूर्व इनकी इस राजनीति को अर्थात्‌ भारत बनाम इण्डिया बनाने के इनके इस घिनौने खेल को लोग अच्छी प्रकार से समझ रहे हैं, जिसकी वजह से अब इन्होंने यहाँ गरीबी, मंहगाई बेरोजगारी व विकास आदि के ये खास व अत्यन्त जरुरी मुद्दे दरकिनार कर दिये हैं. इसीलिए हमारी पार्टी का इन दोनों जातिवादी, साम्प्रदायिक व पूँजीवादी गठबन्धनों से दूरी बनाये रखना पूरे तौर से सही व जनहितेषी भी है.
उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबन्धन के इण्डिया नाम को लेकर, बीजेपी व इनके एनडीए को तथा इनकी केन्द्र की सरकार को जबकि यह चाहिये था कि इनको लगे हाथ ही इसके विरुद्ध माननीय सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिये था, या फिर, इस मामले में कानून बनाकर सम्बन्धित नाम रखे जाने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये था, किन्तु ऐसा ना करके अब इसको लेकर जो संकीर्ण राजनीति की जा रही है यह ठीक नहीं है व जनविरोधी भी है. इसलिए ऐसी स्थिति में हमारी पार्टी यह चाहेगी कि अब माननीय सुप्रीम कोर्ट को खुद इसका संज्ञान लेकर यहाँ ऐसे सभी संगठनों, पार्टियों व गठबन्धनों आदि पर तुरन्त रोक लगाना चाहिये, जो विशेषकर अपने देश के नाम पर बने हैं, वरना फिर अपने देश की गरिमा को भी काफी ठेस पहुँचेगी.
इतना ही नहीं बल्कि विपक्ष व अब सत्तापक्ष द्वारा भी अपने देश के नाम पर की जा रही इस स्वार्थ व संकीर्ण राजनीति से फिर अपने संविधान के साथ आएदिन छेड़छाड़ करने का किसी को भी खुला मौका मिल जायेगा.